Muslim priest performing temple rituals in Rajasthan : राजस्थान की धरती पर विविधता और परंपराओं की कई अनोखी कहानियां बिखरी पड़ी हैं। यहां के गांवों में ऐसी अनोखी परंपराएं देखने को मिलती हैं जो धर्म और जाति के बंधनों को तोड़कर एकता का संदेश देती हैं। ऐसी ही एक कहानी है टोंक जिले के नगर कस्बे की, जहां होली के दिन एक अनूठी परंपरा निभाई जाती है। यहां के चामुंडा माता मंदिर में हर साल होली के दिन विशेष पूजन किया जाता है, और यह पूजन कोई और नहीं बल्कि एक मुस्लिम परिवार करता है।
600 साल पुरानी परंपरा, मुस्लिम पुजारी करते हैं पूजन
चामुंडा माता मंदिर की यह अनोखी परंपरा करीब 600 साल पुरानी है। इस मंदिर के पुजारी एक मुस्लिम परिवार के सदस्य हैं, जो पीढ़ियों से मंदिर की देखभाल और पूजन का कार्य करते आ रहे हैं। यह परिवार आवड़ा पंचायत के दाढ़ी मुस्लिम समुदाय से आता है और इस मंदिर के प्रति अपनी गहरी आस्था रखता है। ग्रामीणों की मान्यता है कि माता रानी इस मुस्लिम परिवार की पूजा से प्रसन्न होती हैं और पूरे गांव पर अपनी कृपा बनाए रखती हैं।
पूर्व सरपंच रामजीलाल बताते हैं कि इस मंदिर में हमेशा से दाढ़ी मुस्लिम परिवार ही पूजा-पाठ करता आ रहा है। आसपास के 11 गांवों के लोग हर साल मंदिर के पुजारी के परिवार को अनाज दान स्वरूप भेंट करते हैं। गांव के लोगों के लिए यह कोई अनोखी बात नहीं है, क्योंकि पुजारी शंभू को हर कोई एक श्रद्धेय व्यक्ति के रूप में देखता है, न कि किसी धर्म विशेष से जोड़कर।
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राजाओं के जमाने से चली आ रही मान्यता
ग्रामीणों का कहना है कि जब इस इलाके में राजाओं का शासन था, तब से ही इस मंदिर को लेकर एक विशेष मान्यता है। कहा जाता है कि जो भी भक्त माता रानी से कुछ मांगता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है। माता रानी सदियों से अपने भक्तों पर कृपा बरसा रही हैं और इसी कारण यह मंदिर क्षेत्र में विशेष आस्था का केंद्र है।
होली पर विशेष पूजन, पूरे गांव के लोग होते हैं शामिल
हर साल होली के दिन इस मंदिर में विशेष अनुष्ठान होता है। होली खेलने से पहले पूरा गांव यहां एकत्रित होता है और माता रानी की पूजा-अर्चना करता है। पुजारी शंभू पूरे विधि-विधान से माता का पूजन करवाते हैं और फिर होली की शुरुआत होती है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है, जहां से पूरा गांव इसे देख सकता है।
इस मंदिर की यह परंपरा एक गहरी सीख देती है कि आस्था किसी धर्म की मोहताज नहीं होती। यह परंपरा बताती है कि धर्म के बंधनों से ऊपर उठकर एकता, प्रेम और श्रद्धा ही असली पहचान है। टोंक जिले का यह मंदिर हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करता है और यह संदेश देता है कि जब बात आस्था की हो, तो सब भेदभाव मिट जाते हैं।
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