सजधज के आतिशबाजी...आसमान में फायरिंग...तोपे व बन्दुकों की आवाज...ये नजारा है उदयपुर की अनूठी परंपरा का....यहां इस तरह से होली का त्योहार मनाया गया...जी हां आपने सही सुना...जहां रंग गुलाल नहीं बल्कि बारुद है...बता दें कि सदियों से ऐतिहासिक जमराबीज का त्योहार मनाया जा रहा है जिसे मेनार की बारूद्धि होली भी कहा जाता है इस युद्ध के दृश्य को देखने हजारों लोग आते हैं, ब्राह्मण मेनारिया समाज पारंपरिक, वेशभूषा धोती, कुर्ता, कसुमल पगड़ी पहने ग्रामीणों की टोली और गरजती तोपें, हवा में लहराती बंदूकें, हाथों में तलवारें और भव्य आतिशबाजी के साथ होली के तीसरे दिन मनाया जाने वाला शौर्य, वीरता का प्रतीक ऐतिहासिक त्योहार जमराबीज मनाया जाता है शनिवार को भी मेनार गांव में जमराबीज मनाया गया जहाँ ये नजारा दिखाई दिया। दरअसल इतिहास है कि मुगलों की सेना को शिकस्त देने के उत्साह में पिछले 500 साल से मेनार में बारूद की होली खेली जा रही है जिसे आज तक इस परंपरा का निर्वहन बदस्तूर जारी है।