सार
जनजातीय मंत्री विजय शाह के विवादित बयान पर मचा बवाल, कोर्ट की फटकार और विपक्ष की घेराबंदी के बीच इस्तीफा न देना क्या किसी बड़ी राजनीतिक डील का संकेत है? क्या दिल्ली दरबार से मिला है सुरक्षित भविष्य का राज़? परदे के पीछे चल क्या रहा है?
स्थान: महू, मध्यप्रदेश | तारीख: 12 मई 2025
Vijay Shah Controversy: मध्यप्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री कुंवर विजय शाह इन दिनों न केवल अपनी विवादित टिप्पणी को लेकर, बल्कि अपनी रणनीतिक चुप्पी और सियासी दांवपेंच को लेकर भी सुर्खियों में हैं। महू के रायकुंडा गांव में हलमा कार्यक्रम के दौरान दिए गए एक बयान ने बवाल मचा दिया। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का ज़िक्र करते हुए सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी को आतंकवादियों की "बहन" बता दिया।
मंत्री विजय शाह के बयान से मचा सियासी भूचाल
इस बयान के बाद राज्यभर में भारी विरोध हुआ। बीजेपी संगठन के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें तलब किया और संगठन महामंत्री द्वारा फटकार लगने के बाद शाह ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष वीडी शर्मा से उनके बंगले पर जाकर मुलाकात भी की। लेकिन यह माफी भी हाईकोर्ट के संज्ञान और एफआईआर दर्ज होने से उन्हें नहीं बचा सकी।
विपक्ष का वार: इस्तीफे की मांग और प्रदर्शन
एफआईआर दर्ज होते ही कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने मोर्चा खोल दिया। भोपाल से दिल्ली तक शाह के इस्तीफे की मांग तेज हो गई। कांग्रेस विधायकों ने राज्यपाल से मिलकर राजभवन के बाहर धरना भी दिया। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि इतने बड़े विवाद के बावजूद न तो शाह ने इस्तीफा दिया, न ही पार्टी ने कोई कार्रवाई की।
विजय शाह का रुख: इस्तीफा नहीं, गारंटी चाहिए!
सूत्रों के मुताबिक, जब उनसे इस्तीफा देने को कहा गया तो विजय शाह ने इनकार करते हुए कहा – “मैंने माफी मांगी है, अब इस्तीफा किसके कहने पर दूं और मेरे राजनीतिक भविष्य की गारंटी कौन देगा?” शाह चाहते हैं कि यह मामला केवल प्रदेश स्तर पर न सुलझे, बल्कि दिल्ली के केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा के बाद ही वे कोई निर्णय लें।
बीजेपी की रणनीति: कोर्ट और दिल्ली के इशारे पर फैसला
अब तक की स्थिति से यह साफ है कि एमपी बीजेपी अपने स्तर से कोई निर्णय नहीं ले रही। पार्टी सुप्रीम कोर्ट में 19 मई को होने वाली सुनवाई के बाद ही केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश का इंतजार कर रही है। यानी शाह का सियासी भविष्य अब कोर्ट और दिल्ली पर टिका है।
देवड़ा और कुलस्ते के बयानों से मिली 'अस्थायी राहत'
विजय शाह के बयान के बीच, डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा और पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के बयानों ने भी विवाद को और उलझा दिया। कुलस्ते ने बयान पर स्पष्टता दी जबकि देवड़ा ने कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। ऐसे में शाह पर कार्रवाई करने से पहले पार्टी को इन नेताओं पर भी स्टैंड लेना पड़ेगा।
कौन हैं विजय शाह?
- नाम: कुंवर विजय शाह
- उम्र: 62 वर्ष
- विधानसभा क्षेत्र: हरसूद
- शैक्षणिक योग्यता: पोस्ट ग्रेजुएट
- राजनीति की शुरुआत: इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज से, ABVP से जुड़े
- पहला चुनाव: 1990
- मंत्री पद पर: 2003 से अब तक 5 बार मंत्री
- वर्तमान विभाग: आदिवासी कल्याण, पर्यटन, उच्च शिक्षा सहित कई अहम मंत्रालय
क्या कोई "डील" का हिस्सा है यह चुप्पी?
विजय शाह का मौजूदा रुख और बीजेपी की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। क्या शाह को किसी राजनीतिक "डील" का भरोसा मिला है? क्या उनके इस्तीफे से कुछ और बड़े चेहरे भी कटघरे में आ सकते हैं? इस पूरे घटनाक्रम में पर्दे के पीछे क्या चल रहा है – यह अब बड़ा सवाल बन चुका है।