मध्य प्रदेश में 40 घंटे के जाम से 3 मौतें, और अब NHAI की अजीब टिप्पणी ने मचाया बवाल। क्या सिस्टम को फर्क पड़ता है या सिर्फ जनता दोषी है? पढ़ें पूरा मामला जो देश को हिला कर रख दिया है।
MP Traffic Jam Death NHAI Controversy: मध्य प्रदेश में आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-3) के इंदौर-देवास खंड पर 40 घंटे तक लगे जाम ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। भीषण गर्मी और जाम के कारण तीन लोगों की मौत हो गई। ये तीनों लोग इलाज, पारिवारिक काम और ज़रूरी यात्रा पर निकले थे, लेकिन जाम के बीच ही उन्होंने दम तोड़ दिया।
जाम में तड़पकर गई जानें, और NHAI ने पूछा- इतनी जल्दी क्यों निकले?
इस घटना पर सबसे चौंकाने वाली बात तब सामने आई जब हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में सुनवाई के दौरान NHAI (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के वकील ने कहा—"लोग इतनी जल्दी घर से क्यों निकलते हैं?" इस बेहूदा और असंवेदनशील टिप्पणी ने देशभर में आक्रोश फैला दिया है। सोशल मीडिया से लेकर समाचार चैनलों तक, लोग यह सवाल कर रहे हैं कि जब सिस्टम अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहा, तो जनता को ही दोष क्यों?
जिनकी जान गई: तीन परिवारों की तबाही की कहानी
- मरने वालों में इंदौर निवासी कमल पांचाल (62), शुजालपुर के बलराम पटेल (55) और गारी पिपल्या के संदीप पटेल (32) शामिल हैं।
- कमल पांचाल को जाम में बिना वेंटिलेशन और गर्मी की वजह से हार्ट अटैक आया।
- बलराम पटेल की जान बचाने की कोशिश करते हुए उनके परिजन जाम में ही अटक गए।
- संदीप पटेल इलाज के लिए निकले थे लेकिन समय से अस्पताल नहीं पहुंच सके।
कोर्ट की सख्त नाराजगी, केंद्र और NHAI को नोटिस
जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की हाईकोर्ट बेंच ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार, NHAI, इंदौर जिला प्रशासन और पुलिस को नोटिस जारी कर 7 जुलाई तक जवाब तलब किया है।
कोर्ट ने यह भी बताया कि सितंबर 2024 तक डायवर्शन रोड बनाने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके थे, लेकिन काम आज तक अधूरा है।
NHAI का बचाव और अदालत की खरी-खोटी
NHAI ने अपनी देरी का कारण बताया कि क्रशर यूनिट्स की 10 दिन की हड़ताल के कारण निर्माण कार्य प्रभावित हुआ। इस पर कोर्ट ने कहा कि आपको पहले ही 3 से 4 महीने का समय दिया गया था, फिर भी आप समय पर काम पूरा नहीं कर पाए। यह जनता की जान के साथ खिलवाड़ है।
सोशल मीडिया पर भड़का गुस्सा "इतनी जल्दी घर से क्यों निकले?"
वाली टिप्पणी पर जनता भड़क उठी है। ट्विटर (X), फेसबुक, इंस्टाग्राम पर लोग NHAI की संवेदनहीनता पर सवाल उठा रहे हैं। लोग लिख रहे हैं—"क्या अब सरकार बताएगी कि हमें कब घर से निकलना चाहिए?" यह सवाल जनता के दर्द को दर्शाता है।
अब क्या आगे?
हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में संकेत दिए हैं कि यदि अगली सुनवाई में संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो NHAI अधिकारियों पर दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही, पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की भी चर्चा शुरू हो चुकी है। एक तरफ सड़कें अधूरी हैं, दूसरी तरफ समय पर काम न होने से जनता की जान जा रही है। और जब सवाल उठता है, तो संस्थाएं जवाब देने की बजाय जनता पर दोष मढ़ देती हैं। यह सिर्फ जाम नहीं था—यह एक सिस्टम का फेल्योर था!