जून की तपती गर्मी में टेंट के नीचे पंखे की हवा में सोते दिखे MP के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर! AC और कार को छोड़कर दोपहिया पर चलने का संकल्प। क्या वाकई ये पर्यावरण प्रेम का संदेश हैं या फिर सुर्खियों में आने की नई रणनीति?  

MP energy minister June vow: मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर एक बार फिर अपने अनोखे संकल्पों के चलते चर्चा में हैं। इस बार उन्होंने जून महीने भर एसी से दूरी बनाने और फोर व्हीलर की बजाय टू व्हीलर से चलने का फैसला लिया है। रविवार रात उन्होंने अपने घर के बाहर टेंट लगाया और सिर्फ पंखे की हवा में सोए।

AC छोड़ने के फैसले के पीछे क्या है ऊर्जा मंत्री की मंशा?

तोमर का दावा है कि एसी चलाने से बिजली की खपत तो होती ही है, साथ ही वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है। ऐसे में उनका संकल्प एक पर्यावरणीय संदेश भी देता है।

 

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बाइक से सफर: मंत्रीजी छोड़ेंगे लग्जरी गाड़ियां

तोमर ने ऐलान किया है कि जून भर वे फोर व्हीलर की बजाय सिर्फ टू व्हीलर का उपयोग करेंगे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि ज़रूरत पड़ने पर बड़े कार्यक्रमों में गाड़ी का इस्तेमाल कर सकते हैं।

भजन और टेंट: समर्थकों संग रात बिताई साधना में

रविवार रात मंत्रीजी ने कार्यकर्ताओं के साथ पहले भजन गाए, फिर टेंट में जाकर आराम किया। उन्होंने यह साबित किया कि उनका संकल्प सिर्फ दिखावा नहीं, बल्कि वे उसे पूरी तरह निभा भी रहे हैं।

चप्पल त्याग से साइकिल संकल्प तक: मंत्रीजी का अनोखा इतिहास

यह पहली बार नहीं है जब ऊर्जा मंत्री ने ऐसा कदम उठाया हो। इससे पहले वे खराब सड़कों के विरोध में चप्पल त्याग चुके हैं, सब्ज़ी मंडी तक साइकिल चलाकर पहुंचे और प्रेस किए कपड़े न पहनने का संकल्प भी ले चुके हैं।

सिर्फ मटके का पानी: स्वदेशी जीवनशैली का पालन

तोमर अब फिल्टर या फ्रिज का पानी नहीं पीते। उन्होंने संकल्प लिया है कि वे केवल मटके का पानी ही पिएंगे। यह संकल्प भी पर्यावरण और ऊर्जा बचत की दिशा में एक प्रतीकात्मक कदम है।

पब्लिक को क्या फायदा? विपक्ष ने बताया नौटंकी

तोमर की इन गतिविधियों को लेकर विपक्ष लगातार तंज कसता रहा है। उन्हें 'नौटंकीबाज़' तक कहा गया। लेकिन मंत्रीजी का कहना है कि यह उनका कर्तव्य है कि वे जनता को बिजली और पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूक करें।

मंत्री बोले - "लोग समझेंगे, बदलाव धीरे-धीरे आएगा"

प्रद्युम्न सिंह तोमर का मानना है कि लोगों को जागरूक करना आसान नहीं होता, लेकिन अगर एक मंत्री अपनी आदतें बदलता है तो उसका असर जरूर पड़ेगा। चाहे आलोचना हो या प्रशंसा, वह अपने मिशन पर अडिग हैं।