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MP Toll Plaza 2025: इन 9 टोल प्लाजा पर अब महिलाएं करेंगी वसूली, जानिए कैसे मिलेगा 30% हिस्सा
मध्य प्रदेश में एक अनोखी पहल हुई है, जहां 9 टोल प्लाजा की जिम्मेदारी महिला स्व-सहायता समूहों को सौंपी गई है। लेकिन क्या है इस बदलाव के पीछे का असली मकसद? जानिए कैसे ये कदम महिलाओं की ताकत को भी बढ़ावा देगा और इसके पीछे मकसद क्या है?
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महिला शक्ति संभालेगी टोल प्लाज़ा की जिम्मेदारी
मध्य प्रदेश सरकार ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। राज्य के 9 ऐसे टोल प्लाज़ा, जहां सालाना आय ₹2 करोड़ से कम है, अब महिला स्व-सहायता समूह संचालित करेंगे। यह निर्णय महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा परिवर्तन ला सकता है।
कौन-कौन से टोल प्लाज़ा होंगे शामिल?
यह योजना उज्जैन, ग्वालियर, सागर, भोपाल, रीवा और धार जैसे ज़िलों के 9 टोल प्लाज़ा पर लागू होगी। जो इस प्रकार हैं…
- उज्जैन-शाजापुर-अकोदिया-सारंगपुर रोड — ₹1.21 करोड़
- उज्जैन-नीमच-मनासा रोड — ₹82 लाख
- उज्जैन-गोगापुर-घोंसला रोड — ₹1.18 करोड़
- ग्वालियर-मोहनपुर- बेहट रोड — ₹1 करोड़
- ग्वालियर-डबरा-भितरवार-हरसी रोड — ₹60 लाख
- सागर-बीना-खिमलासा-माल्थोन रोड — ₹2 करोड़
- भोपाल-गंज बसोदा-सिरोंज रोड — ₹1.35 करोड़
- रीवा-हरदुआ-चाकघाट रोड — ₹1.15 करोड़
- धार-सरदारपुर-बाघ रोड — ₹1.20 करोड़
महिलाओं को मिलेगा कितना लाभ?
महिला समूहों को टोल से वसूली गई राशि में से 30% बतौर कमीशन दिया जाएगा। शेष 70% राजमार्ग निधि में जमा होगा, जिसका उपयोग संबंधित सड़क मार्ग के रखरखाव और उन्नयन में किया जाएगा। इससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति में बड़ा सुधार आ सकता है।
टोल प्लाज़ा पर सिर्फ महिला स्टाफ की होगी तैनाती
सरकार ने निर्देश दिया है कि इन टोल प्लाज़ा पर केवल महिला स्टाफ ही तैनात की जाएंगी। उनके लिए सभी बुनियादी सुविधाएं जैसे शौचालय, सुरक्षा गार्ड और विश्राम स्थल भी उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे महिलाओं को सुरक्षित और सम्मानजनक कार्यस्थल मिलेगा।
पहले से चल रहे पायलट प्रोजेक्ट्स
इस योजना को पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 3 टोल प्लाज़ा पर लागू किया गया था: मलहेरा-चांदला, शाजापुर-नलखेड़ा और उज्जैन-मक्सी मार्ग। इन जगहों पर महिला समूहों की सफलता के बाद अब राज्यव्यापी विस्तार किया जा रहा है।
कैसे किया जाएगा चयन?
जिन मार्गों का वार्षिक अनुमानित संग्रह (APC) ₹2 करोड़ से कम है, वहां टोल टैक्स वसूली का कार्य जिला प्रशासन की मंजूरी से महिला स्व-सहायता समूहों को दिया जाएगा। यह चयन पूरी पारदर्शिता और योग्यता के आधार पर किया जाएगा।
अधोसंरचना सुविधाएं निगम देगा
सड़क विकास निगम इन टोल प्लाज़ा की भौतिक संरचना जैसे फास्टैग सुविधा, केनोपी, काउंटर, टॉयलेट आदि की व्यवस्था करेगा। महिला स्टाफ को तकनीकी ट्रेनिंग और उपकरण भी उपलब्ध कराए जाएंगे ताकि वे कार्य को कुशलता से कर सकें।
महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनेगा ये मॉडल
यह पहल सिर्फ राजस्व वसूली तक सीमित नहीं है, बल्कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी महिलाओं को नेतृत्व, आर्थिक सशक्तिकरण और सामाजिक पहचान भी दिलाएगी। सरकार का यह मॉडल देशभर में महिला सशक्तिकरण का उदाहरण बन सकता है।