सार

MP के दमोह के मिशन अस्पताल में फर्जी डॉक्टर द्वारा की गई सर्जरी से 7 मौतें सामने आईं। आरोपी डॉक्टर पहले भी छत्तीसगढ़ के पूर्व स्पीकर की मौत में संदिग्ध था। सरकार ने जांच के आदेश दिए। फिलहाल उसे प्रयागराज से अरेस्ट कर लिया गया है।

Damoh Fake Doctor: मध्य प्रदेश के दमोह जिले से सामने आई एक सनसनीखेज और रोंगटे खड़े कर देने वाली खबर ने स्वास्थ्य व्यवस्था की नींव को झकझोर कर रख दिया है। दमोह के मिशन अस्पताल में कार्यरत एक कथित "कार्डियोलॉजिस्ट" डॉक्टर ने पिछले कुछ महीनों में 15 मरीजों की एंजियोग्राफी और एनजियोप्लास्टी जैसी जटिल सर्जरी की, जिनमें से कम से कम 7 मरीजों की मौत हो गई। अब पुलिस जांच और प्रशासनिक रिपोर्टों से खुलासा हुआ है कि यह डॉक्टर फर्जी डिग्रियों और जाली दस्तावेजों के बलबूते पर कई वर्षों से मेडिकल प्रैक्टिस कर रहा था। इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि उसका नाम साल 2006 में छत्तीसगढ़ विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ला की मौत से भी जुड़ा था।

7 मरीजों की मौत के बाद मचा हड़कंप

दमोह के मिशन अस्पताल में पिछले कुछ महीनों में हुई 7 मरीजों की संदिग्ध मौतों ने मध्य प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को कटघरे में ला खड़ा किया है। इन सभी मामलों में एक ही नाम सामने आया है – डॉ. एन जॉन कैम, असल नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव। इस कथित डॉक्टर की पहचान फर्जी डिग्रियों, फर्जी रजिस्ट्रेशन और धोखाधड़ी से प्राप्त नौकरी के जरिए चिकित्सा सेवा देने वाले शख्स के रूप में हुई है, जिसने बिना वैध लाइसेंस के गंभीर ऑपरेशन्स किए – जिनमें से 15 में से 7 मरीजों की जान चली गई।

कौन है यह फर्जी डॉक्टर?

जिस शख्स को मरीज "डॉ. एन जॉन कैम" के नाम से जानते थे, उसका असली नाम है नरेंद्र विक्रमादित्य यादव। इसने खुद को ब्रिटेन से कार्डियोलॉजी में प्रशिक्षित विशेषज्ञ बताया था, लेकिन जांच में पाया गया कि इसकी डिग्रियां संदिग्ध थीं, रजिस्ट्रेशन फर्जी था और मेडिकल काउंसिल में इसका कोई रिकॉर्ड नहीं था। इसका दावा है कि उसने MBBS की डिग्री कथित रूप से आंध्र प्रदेश से ली है। इसके अलावा वह MD और कार्डियोलॉजी की डिग्री दार्जिलिंग, कोलकाता और UK से – लेकिन कोई वैध प्रमाण नहीं है। अस्पताल में भर्ती IWUS नाम की प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से ये काम करता था।

2006: जब छत्तीसगढ़ के स्पीकर की गई थी जान

यह वही डॉक्टर है जिसका नाम 2006 में छत्तीसगढ़ के विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ला की मौत से भी जुड़ा था। तब बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में उनकी सर्जरी हुई थी और वही डॉक्टर वहां भी मौजूद था। पूर्व स्पीकर के बेटे, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अनिल शुक्ला ने कहा कि "हमें तभी शक हुआ था कि डॉक्टर फर्जी है। बार-बार कैथेटर डालना पड़ा। लेकिन अस्पताल ने उसे 'लंदन रिटर्न' कार्डियोलॉजिस्ट बताया। अगर तब कार्रवाई होती, तो आज 7 जानें बच सकती थीं।"उस वक्त यह डॉक्टर खुद को "ब्रिटेन से लौटे कार्डियोलॉजिस्ट" बता रहा था।

कैसे सामने आया यह मामला?

फर्जी डॉक्टर द्वारा किए गए ऑपरेशनों के बाद लगातार हो रही मौतों पर मरीजों के परिजनों ने सवाल उठाने शुरू किए। पीड़ितों में रहीसा बेगम, मंगल सिंह, बुद्ध अहिरवाल, इसराइल खान और दसोंदा रायकवार शामिल हैं। ये सभी लोग एंजियोग्राफी और एनजियोप्लास्टी जैसी जटिल प्रक्रियाओं के बाद कुछ ही घंटों में दम तोड़ गए।रहीसा बेगम के बेटे नबी कुरैशी ने बताया कि “जैसे ही मेरी मां की मौत हुई, डॉक्टर गायब हो गया।” इसी तरह मंगल सिंह के बेटे जितेंद्र सिंह ने कहा कि "पोस्टमार्टम तक नहीं करने दिया गया, कहा गया – अब क्या फायदा!"

मुख्य पीड़ित:

  • रहीसा बेगम – 12 जनवरी को सीने में दर्द, ऑपरेशन के कुछ घंटों बाद मौत
  • बेटा नबी कुरैशी: "जैसे ही मां की मौत हुई, डॉक्टर भाग गया।"
  • मंगल सिंह – गैस्ट्रिक शिकायत पर भर्ती, उसी दिन ऑपरेशन और मौत
  • बेटा जितेंद्र सिंह: "पोस्टमार्टम तक नहीं करने दिया गया।"
  • बुद्ध अहिरवाल, इसराइल खान, दसोंदा रायकवार – सभी की मौत एक जैसी परिस्थितियों में हुई। पीड़ितों के परिवारों ने आरोप लगाया कि दवाएं नहीं दिखाई गईं, इंजेक्शन बिना पुष्टि के लगाए गए और जबरन पोस्टमार्टम से इनकार किया गया।

फर्जी डिग्री, फर्जी पहचान और चोरी भी

पुलिस जांच में सामने आया कि यादव ने खुद को UK-trained कार्डियोलॉजिस्ट बताया था। लेकिन उसकी सभी डिग्रियां संदिग्ध हैं और किसी में भी रजिस्ट्रेशन नंबर मौजूद नहीं था। इतना ही नहीं, अस्पताल की पोर्टेबल इको मशीन (₹5-7 लाख की) भी वह चुराकर ले गया था।

सरकारी एजेंसी भी सवालों के घेरे में!

IWUS नाम की सरकारी प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से उसकी नियुक्ति हुई थी। मिशन अस्पताल की प्रबंधक पुष्पा खरे ने दावा किया कि एजेंसी डॉक्टर की सत्यता की जांच करने की जिम्मेदार थी।

प्रशासन और सरकार का रुख

दमोह CSP अभिषेक तिवारी ने पुष्टि की कि डॉक्टर ने फर्जी दस्तावेजों से नौकरी पाई और मामले में धोखाधड़ी, जालसाजी और फर्जीवाड़े का केस दर्ज किया गया है। बिलासपुर के CMHO डॉ. प्रमोद तिवारी ने 2006 केस में दस्तावेज मंगवाए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि "जिम्मेदार कोई भी हो, बख्शा नहीं जाएगा। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।"

स्पीकर परिवार की मांग

पूर्व स्पीकर राजेंद्र प्रसाद शुक्ला के बेटे न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अनिल शुक्ला ने मांग की कि "तब कार्रवाई हुई होती, तो आज 7 निर्दोषों की जान बच सकती थी। अब इस पर हाईकोर्ट जज की निगरानी में जांच होनी चाहिए।" दूसरी तरफ सोमवार को दमोह पुलिस ने फर्जी डॉक्टर को प्रयागराज के ओमेक्स सिटी फ्लैट से गिरफ्तार कर लिया है। वह पिछले अगस्त से यहां छिपकर रह रहा था।