Delhi Mehram Nagar: क्या है दिल्ली के 300 साल पुराने मुगलकालीन गांव का रहस्य? NSG का पहरा, फारसी दस्तावेज और हाई कोर्ट की जीत ने बढ़ाई गांव की रहस्यमयी कहानी।
Historical Delhi Village: दिल्ली में 300 साल पुराना एक ऐसा गांव है, जिसे मुगल काल में किन्नर महरूम खान ने बसाया था। महरूम खान उस समय मुगल हरम के प्रभारी थे और उन्हें दिल्ली में मेहरम नगर का संस्थापक माना जाता है। आज भी इस गांव में उनके बनाए हुए सराय, कारवां और बाजार मौजूद हैं।
दिल्ली में कहां स्थित है ये रहस्यमयी गांव?
दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास स्थित यह गांव इन दिनों सुर्खियों में है। वजह है कि राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) ने गांव पर कड़ा पहरा लगाया हुआ है। लेकिन यह गांव खाली नहीं हो पाया।
फारसी दस्तावेज में छुपा क्या है?
गांव के स्थानीय निवासी सोनू प्रजापति, जो 18वीं पीढ़ी से इस गांव में रह रहे हैं, के पास पूरे गांव का फारसी में लिखा नक्शा और दस्तावेज मौजूद है। ये दस्तावेज 300 साल पुराने हैं और कहा जाता है कि इन्हें खुद महरूम खान ने तैयार किया था। सोनू बताते हैं कि गांव की मुगलकालीन मस्जिद, बाजार और अन्य निर्माणों की पूरी जानकारी इन दस्तावेजों में मौजूद है। मस्जिद के मौलवी की एक ही पीढ़ी अब तक इसे संभाल रही है।
NSG भी क्यों फेल हो गया?
30 सितंबर को NSG ने पूरे गांव को खाली करने का आदेश दिया था। लेकिन गांव के लोग एकजुट होकर विरोध कर रहे थे। ऐसा होने पर कई लोगों को दिल का दौरा पड़ा। मामला हाई कोर्ट तक पहुंचा और कोर्ट ने NSG की याचिका खारिज कर दी। अब सवाल यह है कि भविष्य में इस गांव का क्या होगा?
मेहरम नगर का इतिहास क्या है?
1924 में एयरपोर्ट निर्माण के लिए पुराने गांव की जमीन खाली करवाई गई थी। 1965 में पूरा गांव एयरपोर्ट के पास शिफ्ट कर दिया गया। उस समय गांव की आबादी सिर्फ 200 थी, लेकिन अब यहां 10 हजार लोग रहते हैं। मुगलकालीन लकड़ी का बड़ा दरवाजा और बाजार आज भी गांव की पहचान हैं। सोनू प्रजापति बताते हैं कि अब भी गांव में मुगलकालीन वास्तुकला की झलक देखने को मिलती है।
क्यों है मेहरम नगर गांव आज भी चर्चा में?
मेहरम नगर सिर्फ एक पुराना गांव नहीं है। यह दिल्ली का 300 साल पुराना मुगलकालीन इतिहास है, जहां फारसी दस्तावेज, मस्जिद, बाजार और NSG सुरक्षा जैसी चीजें आज भी जीवित हैं। यही कारण है कि लोग इसे जानने के लिए उत्सुक हैं।
