तेज प्रताप यादव ने पवन सिंह के बीजेपी में शामिल होने पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि पवन सिंह पहले उनके, अब किसी और के पैर पड़ रहे हैं। उनके मुताबिक, सिर्फ लोकप्रियता से राजनीति नहीं चलती और कलाकारों को कला पर ही ध्यान देना चाहिए।
पटनाः भोजपुरी के पावरस्टार पवन सिंह की बीजेपी में एंट्री पर तेज प्रताप यादव ने तंज भरे अंदाज में कहा, “पवन सिंह लगातार किसी न किसी के पैर पर गिर रहे हैं। कभी लखनऊ में हमारे पैर पर गिरे, अब किसी और के पैर पर। इन्हें समझना होगा कि बुद्धि और विवेक के बिना राजनीति में कदम रखना खतरे से खाली नहीं।” तेज प्रताप का कटाक्ष साफ था कि कलाकार को अपनी कला में चमक बनाने दे, राजनीति में छलांग लगाने की जरूरत नहीं।
कला की जगह राजनीति में क्यों?
तेज प्रताप ने पवन सिंह की राजनीति में कदम रखने की वजह पर सवाल उठाया। उनका कहना था, “पवन सिंह कलाकार हैं, उन्हें गाने और अभिनय करना चाहिए। राजनीति उनके लिए ऐसे मुद्दों की जमीनी समझ मांगती है, जो शायद उनके बस की बात नहीं।”
धरातल पर काम कर रहे
तेज प्रताप ने अपने दल के कामों को भी उजागर किया। उनका कहना था कि वो हेलीकॉप्टर पर उड़ने वाले नेता नहीं हैं, बल्कि जमीन पर उतरकर जनता के बीच काम करते हैं। उन्होंने अपने पार्टी के चुनाव चिन्ह ब्लैक बोर्ड की पहल का उदाहरण दिया, जिससे शिक्षा में बदलाव और लोगों के जीवन में असर दिख रहा है। तेज प्रताप ने जोर देकर कहा, “जनता की समस्याओं को सीधे जमीन पर उठाना और उनका समाधान करना ही असली राजनीति है, न कि हवा में तैरते हुए मंच से बयान देना।"
प्रशांत किशोर पर तंज
तेज प्रताप ने जन सुराज पार्टी और प्रशांत किशोर पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि पीला झंडा लेकर घूमने वाले लोग आखिरकार ब्लैक बोर्ड के पास ही जाएंगे। उनका इशारा साफ था कि राजनीति का असली मैदान धरातल है, न कि चमक-दमक वाले प्रचार।
पॉपुलैरिटी राजनीति की पूरी गारंटी नहीं
पवन सिंह ने 2024 में काराकाट लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर एनडीए को चुनौती दी थी और दूसरे नंबर पर रहे। अब बीजेपी में शामिल होने के बाद उनकी एंट्री ने पूरे भोजपुरी बेल्ट में हलचल मचा दी है। पवन सिंह की स्टार पावर युवाओं और ग्रामीण मतदाताओं को बीजेपी की ओर खींच सकती है। लेकिन तेज प्रताप का कहना है कि पॉपुलैरिटी राजनीति की पूरी गारंटी नहीं देती।
जनता से जुड़ाव है जरूरी
तेज प्रताप ने साफ किया कि राजनीति में केवल नाम और लोकप्रियता काफी नहीं है। जमीन पर काम, जनता से जुड़ाव और विकास योजनाओं को लागू करना ही असली परीक्षा है। उनका कहना था, “पवन सिंह को समझना होगा कि राजनीति का रणभूमि अलग है और हवा में उड़ते हुए स्टार पावर वहां काम नहीं आती।”
