तरैया विधानसभा चुनाव 2025 में भाजपा के जनक सिंह 1329 वोटों से जीते। यह सीट भाजपा और राजद के बीच बदलती रही है, जिसमें जातीय समीकरण जीत के लिए निर्णायक हैं।
Taraiya Assembly Election 2025: तरैया विधानसभा चुनाव 2025 में भारतीय जनता पार्टी के जनक सिंह जीत गए हैं। उन्हें 85564 वोट मिले। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल के शैलेन्द्र प्रताप को 1329 वोट से हराया। तरैया विधानसभा (116) सारण लोकसभा क्षेत्र का अहम हिस्सा है। यह सीट बिहार की राजनीति में हमेशा चर्चाओं में रही है। यहां के चुनावी समीकरण जातीय संतुलन, स्थानीय नेताओं की पकड़ और संगठन की ताकत पर टिका होता है। 2010 से अब तक के चुनावी नतीजे बताते हैं कि यह सीट कभी भाजपा, तो कभी राजद के पास जाती रही है।
2010: भाजपा की जीत से बना आधार (Taraiya Assembly 2010 Result)
2010 में भाजपा के जनक सिंह ने कांग्रेस के तारकेश्वर सिंह को 6,970 वोटों के अंतर से हराया।
- जनक सिंह (भाजपा): 26,600 वोट
- तारकेश्वर सिंह (कांग्रेस): 19,630 वोट
खास बात: इस जीत से भाजपा ने ग्रामीण इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत की और तरैया की राजनीति में बड़ा खिलाड़ी बनकर उभरा।
2015: राजद की बड़ी वापसी (Taraiya Assembly 2015 Result)
2015 में राजद ने अपनी पारंपरिक पकड़ दिखाई। मुद्रिका प्रसाद राय (राजद) ने भाजपा के जनक सिंह को 20,440 वोटों के अंतर से मात दी।
- मुद्रिका प्रसाद राय (राजद): 69,012 वोट
- जनक सिंह (भाजपा): 48,572 वोट
खास बात: यह नतीजा साबित करता है कि यादव-मुस्लिम समीकरण ने राजद को मजबूत किया और भाजपा को हार झेलनी पड़ी।
2020: जनक सिंह की वापसी (Taraiya Assembly 2020 Result)
2020 में मुकाबला बेहद रोचक रहा। भाजपा उम्मीदवार जनक सिंह ने राजद के सिपाही लाल महतो को 11,307 वोटों से हराकर सीट दोबारा भाजपा के खाते में डाल दी।
- जनक सिंह (भाजपा): 53,430 वोट
- सिपाही लाल महतो (राजद): 42,123 वोट
खास बात: यह नतीजा दिखाता है कि भाजपा ने सवर्ण और अति पिछड़ा वर्ग के वोटों को साधकर जीत हासिल की।
नोट: बीजेपी नेता जनक सिंह पर छह आपराधिक केस दर्ज हैं। स्नातक तक पढ़े लिखे जनक सिंह की कुल चल-अचल संपत्ति 6.80 कराेड़ रुपए हैं। उन पर 29 लााख रुपए का बकाया भी है।
जातीय समीकरण और मतदाता प्रोफाइल (Taraiya Vidhan Sabha Voter Profile)
- तरैया विधानसभा में कुल मतदाता लगभग 3.05 लाख हैं।
- पुरुष मतदाता: 1.60 लाख
- महिला मतदाता: 1.45 लाख
खास बात: यहां यादव, ब्राह्मण और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यादव-मुस्लिम वोट परंपरागत रूप से राजद के साथ जाते हैं, जबकि ब्राह्मण और अति पिछड़ा वर्ग भाजपा-जदयू के समर्थन में दिखते हैं।


