तेजस्वी यादव के करीबी RJD सांसद सुरेंद्र प्रसाद यादव पर आर्म्स एक्ट के तहत FIR दर्ज हुई है। उन पर 3 लाइसेंस पर अवैध रूप से 5 हथियार रखने का आरोप है। इस मामले में उन्हें 3 से 7 साल तक की सजा हो सकती है।
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजद (RJD) के लिए एक बड़ा झटका सामने आया है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के करीबी माने जाने वाले जहानाबाद के सांसद डॉ. सुरेंद्र प्रसाद यादव पर आर्म्स एक्ट के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि सांसद ने तीन लाइसेंस पर अवैध तरीके से पाँच हथियार रखे, जो सीधे तौर पर आयुध अधिनियम का उल्लंघन है। अब उन पर तीन से सात साल तक की सजा का खतरा मंडरा रहा है।
मामला क्या है?
जानकारी के मुताबिक, गया जिला प्रशासन ने यह कार्रवाई डीएम शशांक शुभंकर के निर्देश पर की है। बताया जा रहा है कि आर्म्स मजिस्ट्रेट द्वारा रिपोर्ट सौंपी गई थी, जिसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) के आदेश पर शेरघाटी थाना में सांसद के खिलाफ नामजद प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई। एफआईआर में उनका नाम सुरेंद्र प्रसाद यादव, पिता भुनेश्वर यादव, निवासी चिरैयाटांड़, थाना रामपुर (पटना) के रूप में दर्ज किया गया है।
सांसद पर क्या आरोप लगे हैं?
अधिकारियों का आरोप है कि सांसद ने तीन अलग-अलग जगहों से शस्त्र अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) ली। यह लाइसेंस सिविल लाइंस थाना (गया), शेरघाटी थाना (गया) और दिल्ली से जारी किया गया है। इन तीन लाइसेंसों पर उन्होंने चार हथियार रखे हुए थे, जिनमें एनपी बोर पिस्टल, दो नली बंदूक (DBBL) और रिवॉल्वर शामिल हैं। प्रशासन का कहना है कि उन्होंने गैरकानूनी तरीके से पता बदलकर अलग-अलग थानों से लाइसेंस हासिल किया, जबकि यह आयुध अधिनियम 2019 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।
क्या है नया कानून?
आयुध (संशोधित) अधिनियम 2019 के अनुसार, अब किसी भी व्यक्ति को अधिकतम दो हथियार रखने की अनुमति है। पहले यह सीमा तीन हथियारों की थी। सांसद पर आरोप है कि वे इस सीमा से अधिक हथियार रखे हुए थे और पता बदलने की प्रक्रिया में कानूनी दस्तावेज़ों में गड़बड़ी की गई।
क्या हुई एफआईआर
शेरघाटी थाना कांड संख्या 423/2025 में उनके खिलाफ भादवि की धारा 25(1-ब) और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, यदि आरोप सिद्ध होता है, तो सांसद को तीन से सात साल तक की सजा और जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।
सांसद की चुप्पी
सांसद को इस मामले में समन भेजा गया था, लेकिन उन्होंने उसका जवाब नहीं दिया। इस पर प्रशासन ने कहा कि कानून सबके लिए समान है और निर्देशों का पालन नहीं करने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। अब पूरा मामला चुनावी मौसम में राजद के लिए राजनीतिक सिरदर्द बन गया है।
चुनावी मौसम में राजद की मुश्किलें
चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद से ही बिहार में सियासी माहौल गर्म है। ऐसे में तेजस्वी यादव के करीबी सांसद पर यह केस राजद की छवि पर सीधा असर डाल सकता है। पार्टी विरोधी इसे मुद्दा बनाकर "कानून और नैतिकता" पर सवाल उठा रहे हैं। वहीं, अब तक इस मामले पर न तो सांसद डॉ. सुरेंद्र यादव की तरफ से और न ही राजद नेतृत्व की ओर से कोई आधिकारिक बयान आया है।
