kudhni vidhan sabha chunav 2025: मुजफ्फरपुर की कुढ़नी से अनिल कुमार सहनी RJD की मामूली बढ़त बरकरार रख पाएंगे या केधर प्रसाद गुप्ता और BJP अप्रत्याशित जीत दर्ज करेंगे? जातिगत समीकरण, वोटों का गणित और रणनीति चुनावी मुकाबले को बेहद रोमांचक बना रहे हैं!
Kudhni Assembly Election 2025: मुजफ्फरपुर जिले की कुढ़नी विधानसभा सीट (Kudhni Assembly Seat 93) बिहार की राजनीति में हमेशा चर्चा में रहती है। यह सीट कभी किसी पार्टी का स्थायी गढ़ नहीं रही, और पिछले तीन चुनावों में हर बार विजेता बदलता रहा। वर्तमान में बीजेपी के केदार प्रसाद गुप्ता विधायक और मंत्री हैं।
कुढ़नी विधानसभा का क्या रहा है इतिहास?
कुढ़नी विधानसभा का चुनावी इतिहास दर्शाता है कि यहां जीत-हार हमेशा नज़दीकी रही है। 2010 में जदयू, 2015 में बीजेपी और 2020 में RJD ने जीत हासिल की। इस सीट पर जातीय गणित और वैश्य, कुर्मी, कोइरी, भूमिहार, मुस्लिम और कुशवाहा जैसे समुदायों का वोट महत्वपूर्ण होता है।
पिछली जीत और हार: आंकड़ों की कहानी
2020 कुढ़नी चुनाव
- विजेता: अनिल कुमार सहनी (RJD)-78,549 वोट
- हारने वाले: केदार प्रसाद गुप्ता (BJP) -77,837 वोट
- जीत का अंतर: सिर्फ 712 वोट
खास बात: RJD ने बीजेपी को महज 0.37% के अंतर से हराया, जिससे सीट पर कांटे की टक्कर साबित हुई।
नोट: अनिल कुमार सहनी के पास डॉक्ट्रेट की डिग्री है। उन पर एक एफआईआर है। उनकी कुल संपत्ति 1.76 करोड़ रुपए है और उन पर 15 लाख से ज्यादा का लोन है।
2015 कुढ़नी चुनाव
- विजेता: केदार प्रसाद गुप्ता (BJP) - 73,227 वोट
- हारने वाले: मनोज कुमार सिंह (JD(U)-61,657 वोट
- जीत का अंतर: 11,570 वोट
2010 कुढ़नी चुनाव
- विजेता: मनोज कुमार सिंह (JD(U)-36,757 वोट
- हारने वाले: बिजेंद्र चौधरी (LJP)- 35,187 वोट
- जीत का अंतर: 1,570 वोट
कुढ़नी विधानसभा का जातीय समीकरण
- 1. महत्वपूर्ण वोटर समुदाय: वैश्य, कुर्मी, कोइरी, भूमिहार, मुस्लिम, कुशवाहा
- 2. पुरुष मतदाता: 1,65,104
- 3. महिला मतदाता: 1,46,681
- 4. थर्ड जेंडर वोटर: 27
- 5. कुल मतदाता: 3,11,812
जातीय समीकरण और समुदायों की ताकत इस सीट पर नतीजे तय करती है। पिछले चुनावों में वैश्य वोटर अक्सर निर्णायक साबित हुए हैं।
2025 में क्या जातीय समीकरण करेंगे बड़े बदलाव?
कुढ़नी विधानसभा सीट (Kudhni Assembly Seat) हमेशा से कांटे की टक्कर वाली सीट रही है। यहां किसी पार्टी का स्थायी कब्जा नहीं रहा। आगामी 2025 चुनाव में जातीय समीकरण, वोटर समीकरण और उम्मीदवारों की रणनीति तय करेंगे कि विजेता कौन होगा।
