जमालपुर विधानसभा चुनाव 2025 में सस्पेंस गहराया है। 2010 और 2015 में JDU जीता, 2020 में कांग्रेस ने वापसी की। अब सवाल है-क्या अजय कुमार सिंह फिर जीत दोहराएंगे या NDA का शैलेश कुमार बाज़ी पलट देंगे?
Jamalpur Assembly Election 2025: जमालपुर विधानसभा सीट (Jamalpur Vidhan Sabha Seat) बिहार की राजनीति में हमेशा से अहम रही है। यह सीट मुंगेर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है और यहां हर चुनाव में समीकरण बदलते रहते हैं। 1967 तक कांग्रेस (Congress) का दबदबा था, लेकिन उसके बाद जदयू (JDU) ने 2005 से 2015 तक लगातार जीत दर्ज कर अपनी मजबूत पकड़ बनाई। हालांकि 2020 में कांग्रेस ने लंबे समय बाद वापसी करते हुए यहां जीत हासिल की। अब जमालपुर विधानसभा चुनाव 2025 में बड़ा सवाल है—क्या कांग्रेस यहां अपनी जीत दोहरा पाएगी या फिर जदयू-लोजपा (LJP) की जोड़ी इस सीट पर अपनी पकड़ मजबूत करेगी?
2010 का चुनाव: जदयू का दबदबा
2010 में जदयू के शैलेश कुमार ने लोजपा की साधना देवी को करारी शिकस्त दी थी। शैलेश कुमार को 48,337 वोट मिले जबकि साधना देवी को 27,195 वोट हासिल हुए। जीत का अंतर रहा लगभग 21,142 वोटों का। इस चुनाव में जदयू ने मजबूती से अपनी पकड़ जमाई।
2015 का चुनाव: फिर से जदयू का जलवा
2015 के चुनाव में शैलेश कुमार (JDU) ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की। उन्होंने लोजपा के हिमांशु कुंवर को हराया। शैलेश कुमार को 67,273 वोट मिले जबकि हिमांशु को 51,797 वोट। जीत का अंतर रहा 15,476 वोटों का। यह चुनाव उस समय खास था क्योंकि जदयू भाजपा से अलग होकर राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन में था।
2020 का चुनाव: कांग्रेस की ऐतिहासिक वापसी
2020 में कांग्रेस प्रत्याशी अजय कुमार सिंह ने मैदान में उतरकर सबको चौंका दिया। उन्होंने जदयू के शैलेश कुमार को 57,196 वोट के साथ पराजित किया, जबकि शैलेश कुमार को 52,764 वोट मिले। जीत का अंतर रहा सिर्फ 4,432 वोटों का। इस बार लोजपा के उम्मीदवार दुर्गेश कुमार सिंह को भी 14,643 वोट मिले, जिससे मुकाबला और त्रिकोणीय हो गया।
2025 का समीकरण: किसकी होगी बाज़ी?
अब 2025 में फिर से दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है। एनडीए (NDA) में जदयू और लोजपा साथ हैं, लेकिन सीट बंटवारे पर सस्पेंस बरकरार है। अगर यह सीट जदयू के खाते में जाती है तो शैलेश कुमार दोबारा मैदान में उतर सकते हैं, वहीं लोजपा भी यहां मजबूत दावेदारी करती रही है। कांग्रेस के अजय कुमार सिंह दोबारा उम्मीदवार बने तो मुकाबला और भी रोमांचक हो सकता है।
