धौरैया विधानसभा चुनाव 2025: मुख्य रणभूमि पर किसका होगा कब्ज़ा-जेडीयू की विरासत या आरजेडी की बढ़ती ताकत? 3 लाख मतदाता, करीब 3 हज़ार वोटों का अंतर, राजनीतिक सस्पेंस फिर चरम पर।

Dhauraiya Assembly Election 2025: धौरैया विधानसभा सीट बांका जिले और बांका लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। यह सीट हमेशा से राजनीतिक रूप से संवेदनशील मानी जाती रही है। शुरुआती दौर में कांग्रेस और वामपंथी दलों का दबदबा रहा, जबकि 2005 से जदयू ने लगातार इस सीट पर कब्जा जमाया। लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद ने जदयू के विजय रथ को रोकते हुए भूदेव चौधरी को जीत दिलाई।

2010, 2015 और 2020 के चुनाव परिणाम: आंकड़ों की कहानी

  • 2010: मनीष कुमार (JD(U)) जीते- 40,261 वोट, जबकि RJD के नरेश दास को 31,919 वोट मिले।
  • 2015: मनीष कुमार (JD(U)) ने फिर जीत दर्ज की-68,858 वोट, भूदेव चौधरी (BLSP) को 44,704 वोट मिले।
  • 2020: भूदेव चौधरी (RJD) जीते -79,324 वोट, जबकि मनीष कुमार (JD(U)) को 76,264 वोट मिले। जीत का अंतर केवल 3,060 वोट था। LJP और RLSP समेत अन्य 9 उम्मीदवारों ने भी इस चुनाव में भाग लिया।

नोट: 2020 में चुनाव जीतने वाले आरजेडी नेता भूदेव चौधरी ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई किए हैं। उन पर चार आपराधिक केस दर्ज हैं। उनकी कुल संपत्ति 1.18 करोड़ रुपए हैं और उन पर 13 लाख रुपए का कर्जा भी है।

धौरैया में वोटरों का समीकरण: यादव, मुस्लिम और ब्राह्मण निर्णायक

धौरैया विधानसभा में यादव और मुस्लिम समुदाय की संख्या अधिक है, जो यहां के चुनावी नतीजों को तय करते हैं। राजपूत, ब्राह्मण, कोइरी-कुर्मी और दलित वोटर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस सीट पर महिला वोटरों की भूमिका भी निर्णायक रही है। कुल मतदाता संख्या लगभग 3 लाख है।

राजद ने जदयू का विजय रथ रोका

2020 के चुनाव में राजद ने भूदेव चौधरी को प्रत्याशी बनाकर जदयू के किले में सेंधमारी की। मनीष कुमार और भूदेव चौधरी के बीच मुकाबला बहुत कड़ा था। कुल 18 उम्मीदवार मैदान में थे। भूदेव की जीत से साबित हुआ कि धौरैया की जनता में राजद की पकड़ मजबूत है।

धौरैया विधानसभा: भविष्य की राह

2025 के विधानसभा चुनाव में धौरैया की सियासत बेहद रोचक रहने वाली है। जदयू अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने का प्रयास करेगा, जबकि RJD इसे बनाए रखने की कोशिश करेगी। यादव-मुस्लिम वोट और ब्राह्मण-कोइरी कुर्मी वोटों की रणनीति निर्णायक साबित हो सकती है।