दीघा विधानसभा चुनाव 2025 में BJP विधायक संजीव चौरसिया लगातार तीसरी बार जीत पाएंगे या JDU-CPI(ML) गठबंधन उन्हें टक्कर देगा? महिला वोटरों और जातीय समीकरण से किसकी किस्मत चमकेगी?

Digha Assembly Election 2025: पटना जिले की दीघा विधानसभा सीट (Digha Vidhan Sabha Seat) 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई और तभी से यह सीट राजनीतिक रूप से बेहद अहम मानी जाती है। Digha Assembly Election 2025 में एक बार फिर मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। यहां का इतिहास बताता है कि JDU और BJP के बीच सीधा टकराव रहता है, जबकि CPI(ML) और RJD भी मतदाताओं को लुभाने में जुटी रहती हैं।

क्या है जाति समीकरण?

इस सीट पर यादव, राजपूत, भूमिहार, ब्राह्मण, कोइरी और कुर्मी समुदाय का खासा असर है। खास बात यह है कि यहां महिला मतदाता भी परिणाम तय करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यही वजह है कि 2010 से लेकर 2020 तक हुए सभी चुनाव जातीय समीकरण और महिला वोटों के इर्द-गिर्द घूमते रहे हैं।

2010 चुनाव: JDU की पहली जीत

2010 में पहली बार दीघा सीट पर चुनाव हुआ। इसमें JDU की पूनम देवी ने शानदार जीत दर्ज की। उन्हें कुल 81,247 वोट मिले थे। वहीं, LJP के सत्य नारायण शर्मा को केवल 20,785 वोट मिले। इस जीत ने JDU को शुरुआती बढ़त दिलाई और यहां जदयू का वर्चस्व दिखा।

2015 चुनाव: BJP का उदय

2015 में तस्वीर पूरी तरह बदल गई। इस बार BJP ने JDU से यह सीट छीन ली। संजय चौरसिया (BJP) ने 92,671 वोट हासिल कर जीत दर्ज की, जबकि JDU के राजीव रंजन प्रसाद को 67,892 वोट मिले। जीत का अंतर 24,779 वोट का था।

इस चुनाव में पुरुषों ने 44.2% और महिलाओं ने 39.3% मतदान किया, जो दीघा सीट पर सबसे ज्यादा वोटिंग प्रतिशत माना जाता है।

2020 चुनाव: BJP की लगातार दूसरी जीत

2020 में भी BJP ने अपनी पकड़ बरकरार रखी। संजय चौरसिया (BJP) ने इस बार 97,318 वोट पाकर जीत हासिल की। CPI(ML) की शशि यादव को 51,084 वोट मिले और वह दूसरे स्थान पर रहीं।

यह लगातार दूसरी बार था जब BJP ने यह सीट जीती और अपने दबदबे को साबित किया।

नोट: बीजेपी प्रत्याशी संजय चौरसिया के पास डॉक्ट्रेट की डिग्री है लेकिन उन पर तीन आपराधिक केस भी रजिस्टर्ड हैं। उनकी कुल चल-अचल संपत्ति 7.73 करोड़ रूपए बताई गई हैं। उन पर कोई लायबिलिटी नहीं है।

दीघा विधानसभा 2025: क्या BJP बनाएगी हैट्रिक?

अब सवाल यह है कि Digha Assembly Election 2025 में क्या BJP तीसरी बार लगातार जीत दर्ज कर पाएगी या JDU और CPI(ML) जैसी पार्टियां नया समीकरण बनाएंगी। महिला वोटरों की भूमिका और जातीय संतुलन इस चुनाव का पासा पलट सकते हैं। शहरी इलाका होने के कारण यहां BJP को हमेशा फायदा मिलता रहा है, लेकिन विपक्ष भी इस बार रणनीति के साथ मैदान में उतर रहा है।