सार

रोहित और कोहली की दोस्ती, प्रतिद्वंदिता की अफवाहों से परे, मैदान पर और बाहर, कई यादगार पलों से भरी है। यह कहानी उनके अटूट बंधन और भारतीय क्रिकेट में उनके योगदान का जश्न मनाती है।

भारतीय क्रिकेट टीम सिर्फ़ बेहतरीन खिलाड़ियों का समूह नहीं, बल्कि कुछ सुपरस्टार्स का मनोरंजन केंद्र भी है। स्टार-प्रेमी संस्कृति वाले हम भारतीयों के लिए, हमारे पसंदीदा मनोरंजन क्रिकेट में भी कुछ आदर्शों की पूजा ज़रूरी है। सचिन के ज़माने में, जब कोई भी उनकी प्रसिद्धि और प्रशंसकों की संख्या के करीब नहीं था, तो क्रिकेट की पिछली कहानियों में मसाला कम होने के कारण सचिन और गांगुली को विरोधी खेमे में खड़ा किया गया था, मुझे याद है। हर दौर में, इस टीम में ही, ज़्यादा प्रशंसक वाले दो लोगों को दुश्मन बनाए रखने की ज़िद इस दौर में विराट कोहली और रोहित शर्मा पर भारी पड़ी।

कोहली ब्रांड और RCB फैन क्लब एक तरफ़ और मुंबई इंडियंस ग्रुप रोहित के साथ, दो गुट बन गए, और स्वाभाविक रूप से, भारतीय टीम में इन दोनों के बीच प्रतिस्पर्धा है, दोनों में कोई दोस्ती नहीं है, और वे एक-दूसरे से बात तक नहीं करते, ऐसी मनगढ़ंत कहानियाँ उभरीं। लेकिन अंधभक्ति के दूसरे पहलू में एक प्रतिद्वंद्वी की ज़रूरत होती है, इसी अनावश्यक भावना ने रोहित-कोहली के बीच दुश्मनी की झूठी कहानी गढ़ी, जो कई मौकों पर झूठी साबित हुई है।

उनमें से हर एक को याद करते हुए, सबसे पहले मेरे दिमाग में 2013 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कोहली के चिन्नास्वामी में हुआ एकदिवसीय मैच आता है। दोनों की उस समय की फॉर्म को देखते हुए, फुटबॉल में रोनाल्डो और मेसी के एक टीम में खेलने जैसा था भारतीय टीम। हमेशा की तरह रोहित की धीमी शुरुआत, धवन के आउट होने के बाद आए कोहली के साथ मिलकर रोहित एक शानदार साझेदारी बनाएंगे, ऐसी उम्मीद लगाए भारतीय प्रशंसकों को निराश करते हुए कोहली को बिना रन बनाए बुलाकर रोहित रन आउट हो जाते हैं। कोहली ने 'एंग्री यंग मैन' के अपने टाइटल को सही ठहराते हुए रोहित को खूब खरी-खोटी सुनाई और पवेलियन लौट गए। मैं समेत सभी भारतीय प्रशंसकों ने कोहली के साथ मिलकर रोहित को दोषी ठहराया, लेकिन अगले दो-तीन घंटों में, एकदिवसीय में लगभग असंभव माने जाने वाले दोहरे शतक का पहाड़ रोहित ने फतह किया, तो आउट करने का गुस्सा भूलकर, दिल खोलकर हँसते हुए ड्रेसिंग रूम से रोहित के लिए तालियाँ बजाते कोहली का चेहरा आज भी मेरी आँखों के सामने है। उस दिन कई मीडिया ने रोहित के दोहरे शतक की तारीफ़ करते हुए लिखा था, 'रोहित ने आज दो शतक बनाए, एक अपने लिए और दूसरा कोहली के लिए।

अगली याद भी उसी ऑस्ट्रेलियाई सीरीज़ की है। जयपुर में हुए मैच में ऑस्ट्रेलिया द्वारा दिए गए 362 रनों के लक्ष्य को देखकर भारतीय प्रशंसकों समेत सभी ने माथा सिकोड़ा, लेकिन उस दिन कोहली और रोहित के लिए कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं था, यह धारणा पक्की हो गई। आज भी कायम रिकॉर्ड, एकदिवसीय में किसी भारतीय द्वारा सबसे तेज़ शतक, कोहली ने उसी दिन बनाया था। 52 गेंदों में कोहली का शतक और दूसरी तरफ़ अपने अंदाज़ में खेलते रोहित ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ों की धुनाई की। जीत का रन बनते ही दोनों खिलाड़ी हवा में उछलकर हाथ मिलाते हुए, वह तस्वीर भारतीय क्रिकेट इतिहास में हमेशा याद रखी जाएगी। उस दिन घर पर टीवी के सामने, जीत के जश्न में उनके साथ उछलने वाले कई भारतीयों में मैं भी शामिल था।

फिर कुछ समय आगे बढ़ते हैं मेरी नज़र और यादें। 2022 का टी20 विश्व कप। पिछले टी20 विश्व कप में पाकिस्तान से पहली बार, किसी ICC टूर्नामेंट में भारत की हार का बदला लेने उतरी भारतीय टीम। 2022 में भी भारत को हार की कगार पर लाकर खड़ा कर देने वाले, पाकिस्तान के तुरुप के इक्के हारिस रऊफ के खिलाफ कोहली ने खेली, सदी की बेहतरीन पारी और कोहली के दृढ़ संकल्प की बदौलत भारत ने जीत हासिल की। मैच के बाद कोहली को अपने कंधे पर उठाते रोहित की तस्वीर, अपनी पूरी टीम को आज के दिन अपने कंधों पर उठाने वाले आपको एक पल के लिए अपने कंधे पर उठाने का मुझे फ़र्ज़ है, ऐसे भाव से खड़े रोहित और उस पर खुश होते विराट, भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के ड्राइंग रूम सजाने के लिए इससे बेहतर फ़्रेम नहीं हो सकता।

अगला, पिछले चैंपियंस ट्रॉफी का किस्सा है। पाकिस्तान के खिलाफ, चेज़ मास्टर कोहली अपने अंदाज़ में खेलते हुए जीत के करीब पहुँचते हैं। मैच भारत जीत जाएगा, यह तय होते हुए भी प्रशंसकों और ड्रेसिंग रूम में तनाव है। शतक के करीब खड़े कोहली क्या इसे पूरा नहीं कर पाएंगे, यह चिंता सभी को है। 96 रन पर खड़े कोहली से छक्का लगाकर शतक और जीत पूरी करने को कहते रोहित, एक्स्ट्रा कवर के ऊपर से चौका लगाकर, दोनों काम पूरा करते हुए कोहली रोहित को इशारा करते हैं, 'मैं यहाँ हूँ, फिर डरने की क्या बात'। जी हाँ, यही बात पिछले एक दशक से भारतीय टीम और भारतीय प्रशंसक कहते आ रहे थे। रो-को की जोड़ी हमारे साथ है, फिर डरने की क्या बात... लेकिन अब ये दोनों साथ में, उस नीले जर्सी में, दिन गिने-चुने हैं, यह समझ आते ही हर भारतीय प्रशंसक की तरह, मेरा दिल भी भर आता है। ज़्यादा तेज़ गति से, बल्लेबाज़ का सिर फोड़ने आती शॉर्ट पिच गेंदों को उठाकर गैलरी में पहुँचाने के लिए अब हमारे पास वह 45 नंबर वाला नहीं होगा... भारत के चेज़िंग के बुरे सपनों से अपनी बल्लेबाज़ी से टीम को जगाने के लिए अब वहाँ वह 18 नंबर वाला नहीं होगा.…