Chankya Niti: आचार्य चाणक्य भारत के महान विद्वानों में से एक थे। उनकी बताई गई नीतियां आज के समय भी हमारे लिए बहुत काम की हैं। आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में बताया है कि कौन-से 4 काम करने के तुरंत बाद स्नान करना चाहिए।
MahaKumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ शुरू होने वाला है। इस महाकुंभ में साधु-संतों के साथ अघोरी भी शामिल होंगे। अघोरियों की दुनिया हमेशा से ही लोगों के लिए रहस्य का विषय रहती है। बहुत कम लोग इनके बारे में जानते हैं।
Mahakumbh 2025: प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ में साधु-संतों की भीड़ जुटने लगी है। इन साधुओं में नागा भी शामिल हैं। नागा साधुओं की अपनी एक अलग दुनिया है। नागा साधु वस्त्र नहीं पहनते। इसके पीछे एक खास कारण बताते हैं।
Mangalwar Upay: धर्म ग्रंथों के अनुसार, हनुमानजी का जन्म मंगलवार को हुआ था, इसलिए इस दिन इनकी पूजा विशेष रूप से की जाती है। अगर हर मंगलवार हनुमानजी को कुछ खास चीजें चढ़ाई जाएं तो हर तरह की परेशानी दूर हो सकती है।
हमारे धर्म ग्रंथों में कई ऐसी बातें बताई गई हैं, जिनके बारे में हम खुद भी नही जानते। स्मृति शास्त्र ग्रंथ में 5 ऐसे लोगों के बारे में बताया गया है, जिनका हमें नाम नहीं लेना चाहिए। ऐसा करना ठीक नही माना जाता।
Kinnar Akhada Prayagraj MahaKumbh 2025: प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ में लाखों साधु-संत आ चुके हैं। इन सभी के बीच में किन्नर समुदाय के लोग भी नजर आ रहे हैं जो किन्नर अखाड़े से जुड़े हुए हैं।
Makar Sankranti 2025 Shubh Muhurat: इस बार मकर संक्रांति का का पर्व 14 जनवरी, मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने और जरूरतमंदों को दान करने का विशेष महत्व है। ये काम मुहूर्त देखकर किया जाए तो और भी शुभ रहता है।
Baba Bageshwar: बाबा बागेश्वर के नाम से प्रसिद्ध पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के लाखों भक्त हैं। बाबा बागेश्वर अपने प्रवचनों के दौरान कुछ ऐसी बातें भी बता देते हैं, जो हमारे लिए बहुत काम की है। इन बातों का ध्यान रख हम परेशानियों से बच सकते हैं।
Kya Hai Khooni Lohri: हर साल मकर संक्रांति के एक दिन पहले लोहड़ी पर्व मनाया जाता है। देश में एक जगह ऐसी भी है, जहां इसे खूनी लोहड़ी कहा जाता है। इस नाम के पीछे एक खास वजह छिपी है।
Kalpavaas 2025: हर साल माघ मास के दौरान उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कल्पवास मेला लगता है, इसे माघ मेला भी कहते हैं। इस दौरान साधु-संत व अन्य लोग संगम तट के किनारे ही एक महीने तक रहते हैं और कठोर नियमों का पालन करते हैं।