छठ व्रत में लगातार 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखना पड़ता है। छठ पर्व (2 नवंबर, शनिवार) में चार दिनों का व्रत मागधी संस्कृति की अनूठी मिसाल है। इस व्रत मुख्य रूप से सूर्यदेव की पूजा की जाती है।
प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाता है। इसे विनायकी चतुर्थी कहते हैं। इस बार ये व्रत 31 अक्टूबर, गुरुवार को है।
आचार्य चाणक्य ने जीवन को सुखी और समृद्ध बनाने के लिए नीति शास्त्र की रचना की थी।
ज्योतिष में सप्ताह के सभी दिनों के अलग-अलग कारक ग्रह बताए गए हैं। सोमवार का कारक चंद्र है, मंगलवार का मंगल, बुधवार का बुध, गुरुवार का गुरु, शुक्रवार का शुक्र, शनिवार का शनि और रविवार का सूर्य।
हर पति-पत्नी यही चाहते हैं कि उनकी संतान स्वस्थ और सुंदर और सौभाग्यशाली हो। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके यहां संतान का जन्म नहीं हो पाता। इसके कई कारण हो सकते हैं।
बिहार और उत्तर प्रदेश में छठ व्रत विशेष रूप से मनाया जाता है। 4 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में भारतीय संस्कृति के अनेक रूप देखने को मिलते हैं।
कार्तिक शुक्ल द्वितिया यानी भाई दूज (इस बार 29 अक्टूबर) को यमराज के साथ चित्रगुप्त की पूजा का भी विधान है। मान्यता है कि इस दिन चित्रगुप्त महाराज के दर्शन और पूजा करने से मनुष्यों को पापों की मुक्ति मिलती है।
इस बार 29 अक्टूबर, मंगलवार को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों को भोजन करने घर पर बुलाती हैं और तिलक करने के बाद उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं।
29 अक्टूबर, मंगलवार को भाई दूज है। इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन चित्रगुप्त की भी पूजा होती है।
मंगलवार, 29 अक्टूबर को भाई दूज है। इस दिन यमराज की विशेष पूजा की जाती है। अगर संभव हो सके तो इस दिन यमराज के मंदिर भी जाना चाहिए।