सार
Omar Abdullah IMF Criticism: IMF ने पाकिस्तान को अरबों डॉलर का कर्ज दिया है, जिस पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि यह कर्ज सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा दे सकता है।
Omar Abdullah IMF Pakistan Loan Controversy: इंडिया और पाकिस्तान के बीच चल रहे मौजूदा तनाव के बीच, एक और बड़ी अंतरराष्ट्रीय हलचल ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को एक और अरब डॉलर का कर्ज देने का फैसला किया है, जिस पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने तीखी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि ऐसे समय में जब पाकिस्तान भारत के नागरिक इलाकों पर हमले कर रहा है, IMF का यह कदम मानो उसे इन हमलों का 'पैसा लौटा' रहा है।
IMF द्वारा पाकिस्तान को नया लोन देने पर उमर अब्दुल्ला ने क्या कहा?
शनिवार को IMF द्वारा पाकिस्तान को नया लोन दिए जाने की खबर के तुरंत बाद, उमर अब्दुल्ला ने X (पूर्व ट्विटर) पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा, "मुझे समझ नहीं आता कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कैसे लगता है कि उपमहाद्वीप में तनाव कम होगा, जब IMF पाकिस्तान को उस हथियारबारी के लिए पैसा दे रहा है, जिससे वह पुंछ, राजौरी, उरी, तंगधार जैसे इलाकों को बर्बाद कर रहा है?"
भारत ने IMF के इस कदम पर क्यों जताई आपत्ति?
IMF ने पाकिस्तान के लिए 'एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी' (EFF) और 'रिजीलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी फैसिलिटी' (RSF) स्कीम के तहत दो कर्जों को मंजूरी दी है – एक अरब डॉलर और 1.3 अरब डॉलर। भारत ने शुक्रवार को इस पर आधिकारिक आपत्ति दर्ज कराई थी और यह आशंका जताई थी कि पाकिस्तान इन फंड्स का इस्तेमाल राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद के लिए कर सकता है। भारत का यह भी कहना है कि IMF जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थान को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दिया गया पैसा वाकई आर्थिक विकास और सुधार के लिए हो, न कि आतंक फैलाने और नागरिकों पर हमले करने के लिए।
IMF के पाकिस्तान को लोन देने पर क्या है चिंता की बात?
जहां एक ओर पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक है और उसे IMF की मदद की जरूरत है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान का भारतीय सीमावर्ती इलाकों में गोलीबारी और आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन देना लगातार बना हुआ है। ऐसे में यह डर बना हुआ है कि कहीं IMF से मिला फंड आतंकवाद की फंडिंग में न बदल जाए।
IMF के इस कदम के बाद अब आगे क्या?
IMF का यह कदम भारत के लिए कूटनीतिक और सुरक्षा दोनों मोर्चों पर चिंता की बात बन गया है। उमर अब्दुल्ला जैसे क्षेत्रीय नेताओं की प्रतिक्रिया यह दिखा रही है कि स्थानीय स्तर पर भी इसका असर महसूस किया जा रहा है।