Census 2027 notification: 16 वर्षों बाद भारत में दो चरणों में होगी जनगणना, डिजिटल प्लेटफॉर्म और जाति आधारित आंकड़ों के साथ। गृह मंत्री अमित शाह ने की समीक्षा।
Census 2027 India: भारत में 16 वर्षों बाद 2027 में जनगणना (Census 2027) कराई जाएगी। पहली बार जनगणना पूरी तरह से डिजिटल संचालित होगा। इस बार जनगणना में जाति आधारित आंकड़ों (Caste Enumeration) को भी शामिल किया जाएगा। रविवार को गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने जनगणना की तैयारियों की हाईलेवल रिव्यू मीटिंग की है।
जनगणना की दो चरणों में होगी प्रक्रिया
- पहला चरण - हाउस लिस्टिंग ऑपरेशन (Houselisting Operation - HLO): इसमें प्रत्येक घर की स्थिति, उसमें उपलब्ध सुविधाएं और संसाधनों की जानकारी ली जाएगी।
- दूसरा चरण - जनसंख्या गणना (Population Enumeration - PE):
- इसमें प्रत्येक व्यक्ति की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और जातिगत जानकारी दर्ज की जाएगी।
जनगणना की प्रमुख तिथियां
- बर्फ से ढंके क्षेत्रों (लद्दाख, जम्मू-कश्मीर के दुर्गम क्षेत्र, हिमाचल व उत्तराखंड) में संदर्भ तिथि: 1 अक्टूबर 2026
- अन्य सभी क्षेत्रों में संदर्भ तिथि: 1 मार्च 2027
पहली बार पूरी तरह डिजिटल जनगणना
सरकार ने इस जनगणना को मोबाइल एप्लिकेशन (Mobile App) और सेल्फ-एन्यूमरेशन विकल्प (Self Enumeration) के माध्यम से कराने की योजना बनाई है। जनता स्वयं भी मोबाइल से अपनी जानकारी भर सकेगी।
सुरक्षा होगी बेहद सख्त
केंद्र सरकार ने कहा है कि डेटा संग्रहण, ट्रांसमिशन और स्टोरेज के दौरान कड़े साइबर सुरक्षा मानक लागू किए जाएंगे।
जनगणना से जुड़े प्रमुख तथ्य
- यह भारत की 16वीं जनगणना होगी और स्वतंत्रता के बाद 8वीं बार यह प्रक्रिया हो रही है।
- इस प्रक्रिया में करीब 34 लाख एन्यूमरेटर और सुपरवाइज़र और 1.3 लाख अधिकारी कार्यरत रहेंगे।
- जनगणना 2011 के बाद यह पहली जनगणना होगी, जो 2021 में कोविड-19 के चलते स्थगित हुई थी।
गृह मंत्रालय की अहम बैठक
रविवार को अमित शाह ने गृह सचिव गोविंद मोहन, जनगणना आयुक्त मृत्युञ्जय कुमार नारायण और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर पूरी प्रक्रिया की समीक्षा की। सोमवार को इस संबंध में गजट अधिसूचना भी जारी की जाएगी।
इस बार जनगणना क्यों है खास?
- पहली बार जातिगत आंकड़ों का समावेश, जिससे नीतिगत योजनाओं और सामाजिक न्याय की दिशा में नए आयाम खुलेंगे।
- डिजिटल माध्यम से डेटा कलेक्शन, जिससे कागज़ी प्रक्रिया कम, और डेटा विश्लेषण तेज़ होगा।
- सुरक्षित डिजिटल प्रणाली से भविष्य में उपयोग के लिए विश्वसनीय आंकड़े तैयार होंगे।