सार
Chirag Paswan on Namaz at street: चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने सड़क पर नमाज विवाद को बेकार बताते हुए कहा कि इससे समाज में बेवजह नफरत फैलाई जा रही है। उन्होंने धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप को गलत ठहराया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।
Chirag Paswan on Namaz at street: केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने सड़क पर नमाज पढ़ने को लेकर मचे विवाद पर बड़ा बयान दिया है। हालांकि, इस मुद्दे पर अपना स्टैंड उन्होंने क्लियर करने के साथ ऐसे सवाल को भी बेकार करार दिया। उन्होंने कहा कि देश में कई अहम मसले हैं जिन पर चर्चा होनी चाहिए लेकिन फालतू विषयों पर बहस कर समाज में तनाव पैदा किया जा रहा है।
यह बेकार की बहस, इससे समाज में नफरत बढ़ती
चिराग पासवान से एक मीडिया हाउस के कार्यक्रम के दौरान सड़क पर नमाज पढ़े जाने के मुद्दे पर उनका स्टैंड पूछा गया। उन्होंने दो टूक जवाब देते हुए कहा: यह फालतू (Useless) बातें हैं। इन पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है। देश में कई बड़े मुद्दे हैं जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए लेकिन जब हम इस तरह की बातों में उलझ जाते हैं तो समाज और देश में तनाव पैदा होता है। इससे बिना वजह समुदायों के बीच दूरियां बढ़ती हैं जो बिल्कुल बेकार की बात है।
चिराग पासवान ने कहा कि सालों से लोग सड़क पर नमाज पढ़ते आ रहे हैं। यह कोई नई चीज नहीं है। अगर इस पर चर्चा न होती तो मुझसे पूछा जाता कि मैंने खाद्य प्रसंस्करण मंत्री (Food Processing Minister) के रूप में क्या काम किया लेकिन अब यह सब बातें पीछे छूट गई हैं।
धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि मैं 21वीं सदी का पढ़ा-लिखा युवा हूं। हमें धार्मिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए। यह पूरी तरह से व्यक्तिगत आस्था (Personal Faith) का मामला है। मैंने इफ्तार पार्टी दी थी और वहां तिलक लगाकर गया था। यह मेरी आस्था है। मैं अपनी धार्मिक मान्यताओं को छोड़कर किसी और के धर्म का सम्मान नहीं करूंगा लेकिन यह निजी मामला है।
पासवान ने कहा कि कई हिंदू तिलक नहीं लगाते तो क्या वे हिंदू नहीं हैं? यह पूरी तरह से व्यक्तिगत आस्था का मामला है। इसे जबरदस्ती एक सार्वजनिक बहस का विषय क्यों बनाया जा रहा है?
मैं अपनी पार्टी ही नहीं, अपने सहयोगियों से भी असहमत हूं
जब उनसे यह पूछा गया कि उनके गठबंधन (BJP Alliance) में भी कुछ लोग इस मुद्दे को उठा रहे हैं तो उन्होंने कहा: लेकिन मैं सहमत नहीं हूं। मैं यही कह रहा हूं। मैं अपने सहयोगियों (Allies) की बात कर रहा हूं। अगर वे ऐसा कर रहे हैं तो भी मैं इस तरह की राजनीति को सही नहीं मानता। मुझे लगता है कि देश में हिंदू-मुस्लिम बहस से ज्यादा जरूरी मुद्दे हैं जिन पर बात होनी चाहिए।