सार

Siblings Fight: बच्चे छोटी बातों पर मारपीट क्यों करते हैं? जानें इसके पीछे छिपे कारण, जैसे समझ की कमी, ध्यान आकर्षित करने की कोशिश, अत्यधिक छूट, प्रतिस्पर्धा और डिजिटल मीडिया का प्रभाव। एक्सपर्ट से समझें समाधान।

Parenting Tips: अगर आपका बच्चा भी छोटी-छोटी बातों पर दूसरों को पीटता है तो यह एक चेतावनी है। आपके लिए जरूरी है कि आप समय रहते उसके इस व्यवहार को बदलें ताकि भविष्य को बेहतर बनाया जा सके।

समझ की कमी (Lack of understanding)

कई बार मांएं गलती करने पर अपने बच्चों को पीटती हैं। पिता भी गुस्से में उन्हें डांटते हैं। छोटे बच्चे में समझ की कमी होती है। उसे लगता है कि गुस्सा, निराशा और असंतोष जाहिर करने का यही एकमात्र तरीका है, इसलिए वह अपनी भावनाओं को शब्दों के बजाय शारीरिक रूप से व्यक्त करने के लिए झगड़ा और मारपीट का सहारा लेता है। ऐसे में आपको उसके व्यवहार में बदलाव लाने के लिए उससे खुलकर बात करनी चाहिए।

अटेंशन पाने के लिए (Attention)

बच्चे अपने माता-पिता का ध्यान आकर्षित करने के लिए अपने भाई-बहनों या दोस्तों से भी लड़ते हैं। ऐसा खास तौर पर तब होता है जब उन्हें लगता है कि उन्हें बराबर प्यार और समय नहीं मिल रहा है। यह भावना उन्हें असुरक्षित और उपेक्षित महसूस कराती है और वे आक्रामक हो जाते हैं। इसलिए दोनों बच्चों पर बराबर ध्यान दें। अगर आपका दूसरा बच्चा बहुत छोटा है, तो उसे सुलाने के बाद बड़े को थोड़ा समय देने की कोशिश करें।

अत्यधिक छूट (Excessive leniency)

कई बार बच्चा माता-पिता को आसपास न पाकर छोटे भाई या बहन को पीटता है। आप इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते, जिसकी वजह से वह लगातार ऐसा करता रहता है। दरअसल, माता-पिता की लापरवाही या अत्यधिक नरमी बच्चे को आक्रामक बनाने में अहम भूमिका निभाती है, इसलिए ऐसा होने पर बच्चे को तुरंत रोकें।

कॉम्पिटिशन और जलन (Competition and jealousy)

माता-पिता अक्सर बच्चों में प्रतिस्पर्धा और ईर्ष्या की भावना को बढ़ा देते हैं। वे बच्चों की एक-दूसरे से तुलना करने लगते हैं, जिसकी वजह से न सिर्फ भाई-बहनों के बीच प्यार खत्म होता है, बल्कि उनका ज्यादातर समय झगड़ों में ही बीतता है। लेकिन इसका उनके भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए दोनों बच्चों की तुलना करने की बजाय आपको उनके बीच प्यार और समझ बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए।

डिजिटल मीडिया (Digital medium)

अगर आपका बच्चा बहुत ज़्यादा हिंसक वीडियो गेम, कार्टून या फ़िल्में देखता है, तो इसका उस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसी सामग्री देखने से बच्चे हिंसा को सामान्य मानने लगते हैं। इसके अलावा अगर घर का माहौल तनावपूर्ण और आक्रामक है, तो भी वे झगड़ालू हो जाते हैं। इसलिए घर में सकारात्मक माहौल बनाएँ और उन्हें हिंसक सामग्री से दूर रखें।

धैर्य से सुनें उनकी बात (Listen to them patiently)

बाल मनोवैज्ञानिक डॉ. अंजलि गुप्ता कहती हैं, जब भाई-बहनों के बीच झगड़े हद से ज़्यादा बढ़ जाते हैं, तो इसके पीछे कई कारण होते हैं, जैसे प्रतिद्वंद्विता, असुरक्षा की भावना, माता-पिता द्वारा भाई-बहनों के बीच प्रशंसा, सम्मान, आलोचना या तुलना की कमी या माता-पिता की शारीरिक और भावनात्मक अनुपलब्धता। समय रहते इस पर ध्यान देना ज़रूरी है, नहीं तो यह बच्चों को आक्रामक बनाता है। वे भावनात्मक रूप से असंतुलित, अनिश्चित, आवेगी और आक्रामक हो जाते हैं। माता-पिता की ज़िम्मेदारी है कि वे सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाएँ और बच्चों की बात धैर्य से सुनें ताकि उन्हें मुश्किल भावनाओं से उबरने में मदद मिल सके। उन्हें आश्वस्त करें कि वे अन्य भाई-बहनों से कम नहीं हैं।