Kajol Parenting Tips: बॉलीवुड एक्ट्रेस काजोल ने हाल ही में अपने माता-पिता तनुजा और शोमू मुखर्जी के अलगाव को लेकर एक भावुक बयान दिया। उन्होंने बताया कि भले ही उनके माता-पिता तलाक लेकर अलग हो गए थे। लेकिन हमें इसका एहसास नहीं होने दिया। 

Kajol On Parents Divorce And Parenting: बॉलीवुड एक्ट्रेस काजोल अपनी फिल्म'मां'को लेकर सुर्खियों में हैं। इस मूवी में वो एक सशक्त मां की भूमिका निभा रही हैं जो अपनी बेटी को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं। फिल्म के प्रमोशन के दौरान उन्होंने एक इंटरव्यू दिया। जिसमें उन्होंने अपने माता-पिता के तलाक और को-पेरेंटिंग पर बातचीत की। उन्होंने बताया कि भले ही उनके माता-पिता एक साथ नहीं रहे, लेकिन उन्होंने कभी अपने बच्चों को इस फैसले की तकलीफ नहीं होने दी।

काजोल ने कहा कि माता-पिता भले ही अलग हो गए थे, लेकिन उन्होंने कभी हमें इसका एहसास नहीं होने दिया। दोनों ने मिलकर अपनी दोनों बेटियों मुझे और तनीषा को पाला। मेरे माता-पिता ने वहीं किया जो उनके बच्चों के लिए सबसे बेहतर था।

क्या है को-पेरेंटिंग?

को-पेरेंटिंग (Co-parenting) का मतलब है कि माता-पिता अपने आपसी रिश्ते को चाहे जैसे भी संभालें, लेकिन जब बात बच्चों की हो तो वो एक टीम की तरह काम करें। बच्चों को यह महसूस ना होने दें कि उनके माता-पिता अलग हो चुके हैं।

कैसे निभाई जाती है को-पेरेंटिंग?

तलाक लिए पेरेंट्स आपसी मतभेदों को बच्चों पर हावी नहीं होने देते हैं।

बच्चों की पढ़ाई, परवरिश और इमोशनल जरूरतों प्रॉयरिटी देते हैं।

एक-दूसरे के खिलाफ बच्चों के सामने कभी कुछ नहीं कहते हैं।

बच्चों को प्यार और स्थिरता देते हैं, भले ही दोनों अलग-अलग घरों में रहते हों

दोनों माता-पिता मिलकर डिसिजन लें, चाहे स्कूलिंग हो या हॉबीज

बच्चों के लिए क्या मायने रखती है को-पेरेंटिंग?

काजोल के अनुभव से साफ है कि माता-पिता का साथ रहना ही जरूरी नहीं, बच्चों के लिए यह ज्यादा जरूरी है कि उन्हें दोनों पेरेंट्स का प्यार और वक्त बराबर मिले। उनके बीच टॉक्सिक माहौल ना हो।

क्या कोपेरेंट करना ठीक है?

अगर माता-पिता आपसी सहमति से तलाक (Divorce) लेते हैं और उनके बीच कोई भी निगेटिव बातचीत नहीं होती है तो फिर को-पेरेंटिंग ठीक है। क्योंकि बच्चों को दोनों का वक्त और साथ मिलता है। लेकिन अगर आपका पूर्व साथी आपके साथ दुर्व्यवहार करता है तो बच्चों के लिए अनहेल्दी माहौल हो सकता है। बच्चों के मेंटल स्थिति पर असर पड़ता है।