Parenting Tips: बच्चों की अगर सही तरीके से परवरिश की जाए तो उनका फ्यूचर ब्राइट होता है। लेकिन जाने-अनजाने में पैरेंट्स कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो बच्चों की सोच, आत्मविश्वास और बिहेवियर पर निगेटिव असर डालते हैं। 

Parenting Tips: बचपन में बच्चों का मन बिल्कुल कच्चे घड़े की तरह होता है, उसे जैसा बनाते हैं वो वैसा बनता जाता है। अच्छी परवरिश बच्चे के फ्यूचर को डिसाइड करती है। लेकिन अनजाने में ही माता-पिता कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जिससे बच्चों की सोच, आत्मविश्वास और बिहेवियर पर निगेटिव असर पड़ता है। यहां पर कुछ विनाशकारी पेरेंटिंग गलतियों का जिक्र किया गया है जिन्हें समय रहते सुधारना बहुत ज्यादा जरूरी है।

1. बच्चों की तुलना करना

अक्सर हम बच्चों की तुलना किसी और से करते हैं जिससे उनके आत्म-सम्मान पर चोट पहुंच सकता है। इससे बच्चा हमेशा खुद को कमतर आंकने लगते हैं। इसलिए अपने बच्चों की तुलना कभी किसी और के बच्चों से ना करें, यहां तक कि उनके भाई-बहन से भी नहीं। हर बच्चा अलग होता है और उसकी क्षमताएं भी । बच्चे की खूबियों को पहचानें और उसे प्रोत्साहित करें। तुलना की बजाय प्रेरणा दें।

2.कड़ाई से भरी परवरिश

बहुत ज्यादा बच्चों को डांटना नहीं चाहिए और ना ही उनके साथ मारपीट करना चाहिए। इससे बच्चा या तो डरपोक बन जाएगा या फिर विद्रोही। बच्चों में अनुशासन लाना जरूरी है पर उसे प्यार और समझदारी से लागू करना चाहिए।

3. बच्चों को हमेशा कंट्रोल करना

हर चीज में ज्यादा दखल देने से बच्चा अपनी खुद की सोच विकसित नहीं कर पाता। वह निर्णय लेने में असमर्थ हो सकता है और हर काम के लिए माता-पिता पर निर्भर रहने लगता है।उन्हें छोटे-छोटे फैसले खुद लेने दें, जिससे उनमें आत्मनिर्भरता आए। बड़े होकर किसी भी परिस्थिति से बाहर निकल आएंगे।

4. भावनात्मक दूरी बनाना

अक्सर माता-पिता इतने बिजी होते हैं कि वो बच्चों से बातचीत नहीं कर पाते हैं। उनके सवालों या फिर भाव को नजरअंदाज कर बैठते हैं। जिससे बच्चा खुद को अकेला महसूस करने लगता है। इसलिए समय निकालें, बात करें और उन्हें महसूस कराएं कि आप हमेशा उनके साथ हैं।

5. बच्चों की बात न सुनना

बच्चों की बातें टालना या उन पर ध्यान न देना उन्हें यह संदेश देता है कि उनकी बातों की कोई अहमियत नहीं। उनकी एक्टिव लिस्निंग यानी ध्यान से उनकी बात सुनें, भले ही बात छोटी हो।

6. हर बार No कहना

हर बात पर बच्चों को नो नहीं कहना चाहिए। इससे बच्चा जिद्दी बन सकता है। उनकी जिज्ञासा खत्म कर सकता है। ऑप्शन दें, उसे समझाएं। अगर फिर भी वो नहीं मानते हैं तो फिर उन्हें नो बोलें।

7. खुद पर काम न करना

अक्सर माता-पिता बच्चों से अच्छा व्यवहार चाहते हैं लेकिन खुद गुस्से, तनाव या झुंझलाहट में रहते हैं। इसलिए सबसे पहले माता-पिता को खुद पर काम करना चाहिए। खुद की मानसिक सेहत और व्यवहार पर भी काम करें, क्योंकि बच्चे सबसे ज़्यादा अपने माता-पिता से ही सीखते हैं।