सार
Diabetes patient and rice: डायबिटीज के मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में डायबिटीज के मरीजों को चावल खाने से डर लगता है। लेकिन अब शुगर के मरीज भी बिना किसी डर के चावल खा सकेंगे, इसके लिए शोधकर्ताओं ने स्मार्ट राइस कुकर बनाया है।
Smart Rice Cooker for Diabetics: शुगर होने पर हर कोई चावल खाने से डरता है। लेकिन अब डायबिटीज के मरीज भी बेफिक्र होकर चावल खा सकेंगे, इसके लिए आचार्य एनजी रंगा कृषि विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने डायबिटिक स्मार्ट राइस कुकर बनाया है। यह कुकर कैसे काम करता है? इसके क्या फायदे हैं? आइए जानते हैं पूरी जानकारी।
डायबिटिक स्मार्ट राइस कुकर में क्या है खास?
आचार्य एनजी रंगा विश्वविद्यालय से जुड़े पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी सेंटर के वैज्ञानिकों ने इस कुकर का आविष्कार किया है।
- चावल में ग्लाइसेमिक इंडेक्स को कम करने के लिए स्मार्ट राइस कुकर बनाया गया है। इससे चावल खाने के बाद भी शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है।
- स्मार्ट कुकर के आविष्कारक डी. संदीप राजा ने बताया कि प्रोसेसिंग ट्रीटमेंट के जरिए चावल में ग्लाइसेमिक इंडेक्स को कम करके उसे धीरे-धीरे पचने वाला बनाना इस स्मार्ट कुकर की खासियत है।
- उन्होंने बताया कि ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होने के साथ-साथ यह चावल धीरे-धीरे पचता है। इससे जल्दी भूख नहीं लगती, यह शुगर के मरीजों के साथ-साथ वजन कम करने वालों के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
- यह स्मार्ट कुकर आज के समय में हर किसी के लिए उपयोगी है। फिलहाल इस राइस कुकर का आकार बड़ा है, लेकिन जल्द ही इसका आकार घटाकर इसे घर में इस्तेमाल करने लायक बनाया जाएगा।
कम कीमत में किट की जा सकेगी इस्तेमाल
वैज्ञानिकों ने बताया कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स का इस्तेमाल करके कुछ कंपनियों के साथ समझौता करके इस तरह के स्मार्ट कुकर बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराने की तैयारी है। चावल में ग्लाइसेमिक टेस्ट की कीमत फिलहाल ज्यादा है, इसे कम करने के लिए एक किट बनाई गई है। आमतौर पर 2.5 लाख रुपये का खर्च आता है, लेकिन इस नई किट से सिर्फ 7500 रुपये में टेस्ट हो जाएगा। ये कूकर आम जन तक कब तक पहुंचेगा, इसके बारे में जानकारी अभी नहीं उपलब्ध है। लेकिन उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही मधुमेह के रोगियों को जी भर चावल खाने की आजादी मिल जाएगी।