सार

Lifestyle changes for diabetes: रिसर्च से पता चलता है कि टाइप 2 डायबिटीज वाले लगभग 80% लोग अधिक वजन वाले या मोटे होते हैं। 

आज की व्यस्त जीवनशैली और असंतुलित खानपान ने दो बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं को आम बना दिया है मोटापा और टाइप 2 डायबिटीज। हैरानी की बात यह है कि ये दोनों एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। अध्ययनों के अनुसार, टाइप 2 डायबिटीज के 80% मरीज अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होते हैं। विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि मोटापा, खासकर पेट के आसपास की चर्बी, इस बीमारी के खतरे को कई गुना बढ़ा देता है।

कैसे बढ़ाता है मोटापा डायबिटीज़ का खतरा?

डॉक्टर्स बताते हैं कि शरीर में जमा चर्बी केवल निष्क्रिय फैट नहीं होती, बल्कि यह हार्मोन और रसायन छोड़ती है जो इंसुलिन के काम में हस्तक्षेप करते हैं। इंसुलिन एक ऐसा हार्मोन है जो शरीर में ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है। लेकिन जब शरीर में सूजन और चर्बी का स्तर बढ़ता है, तो इंसुलिन ठीक से काम नहीं करता, इसे ही इंसुलिन रेज़िस्टेंस कहा जाता है। समय के साथ, यह स्थिति ब्लड शुगर को असामान्य रूप से बढ़ा देती है, और फिर व्यक्ति को टाइप 2 डायबिटीज़ हो जाती है।

मोटापे से जुड़ी दूसरी हेल्थ प्रॉब्लम

डॉ. अरुष सबरवाल (बैरियाट्रिक और मेटाबोलिक सर्जन, SCOD क्लिनिक) कहते हैं कि मोटापा सिर्फ डायबिटीज ही नहीं, बल्कि कई अन्य गंभीर बीमारियों का भी कारण बनता है, जैसे - 

  1. हृदय रोग
  2. किडनी फेल्योर
  3. नसों को नुकसान (न्यूरोपैथी)
  4. आंखों की रोशनी पर असर (रेटिनोपैथी)

इन सभी जटिलताओं का जड़ कारण एक ही है — बढ़ा हुआ वजन और असंतुलित जीवनशैली।

जरूरी हैं छोटे लेकिन असरदार बचाव

अच्छी बात यह है कि इस गंभीर स्थिति से समय रहते बचा जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव, यदि लगातार अपनाए जाएं, तो डायबिटीज़ को रोका और नियंत्रित किया जा सकता है।

  • संतुलित आहार अपनाएं – फाइबर, साबुत अनाज, फल-सब्जियां और कम फैट वाले प्रोटीन को डाइट में शामिल करें।
  • नियमित व्यायाम करें – रोज़ाना 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी जैसे वॉकिंग, योग या हल्का जिमिंग करें।
  • तनाव पर नियंत्रण रखें – मेडिटेशन, म्यूजिक, या हॉबीज़ अपनाएं।
  • अच्छी नींद लें – हर दिन कम से कम 7–8 घंटे की गहरी नींद लें।
  • वज़न पर नजर रखें – महीने में एक बार वजन और वेस्ट साइज जरूर चेक करें।