सार

Aurangzeb History: मुगल शासक औरंगजेब का शासन काल क्रूरता से भरा था। उसने सत्ता के लिए अपने ही परिवार का खून बहाने से लेकर धर्मांतरण और मंदिरों के विध्वंस तक, कट्टरता और निर्दयता की हर सीमा पार कर दी थी। जानिए क्या है पूरी सच्चाई है?

History Of Aurangzeb: औरंगजेब कौन था और कितना क्रूर था और छावा मूवी में जो कहानी दिखाई गई है उसकी सत्यता क्या है। वहीं औरंगजेब की तारीफ कर विवादों में घिरे SP विधायक अबू आजमी पर पहले FIR हुई, फिर वे विधानसभा से भी सस्पेंड किये गए। और इसी बात पर अब सियासी घमासान मचा है। इन वाकयों के बाद हर कोई जानना चाहता है कि आखिर औरंगजेब कितना क्रूर राजा था और उसने सत्ता को हासिल करने के लिए क्या-क्या किया था। सबसे पहला सवाल कि औरंगजेब कौन था? तो जान लीजिए कि औरंगजेब मुगल साम्राज्य का छठा शासक था, जिसने 1658 से 1707 तक शासन किया। सत्ता के लिए अपनों का खून बहाने से लेकर धर्मांतरण और मंदिरों के विध्वंस तक, उसका शासन कट्टरता और निर्दयता से भरा रहा। औरंगजेब के अत्याचारों की कहानी जान कर आप खुद ही उसकी क्रूरता का अंदाजा लगा सकते हैं। 

कब हुई थी मुगल साम्राज्य की स्थापना?

मुगल साम्राज्य की स्थापना 1526 ईस्वी में यानि आज से करीब 500 साल पहले बाबर ने की थी। उसके बाद हुमायूं शासक बना। हुमायूं दो बार शासक बना, पहला काल 1530 से 1540 तक और दूसरा शासन काल 1545 से 56 तक रहा। फिर अगला अकबर बना, जिसमें 1556 से लेकर 1605 तक राज किया। इसके बाद जहांगीर ने 1605 से 1627 राज किया। उसके बाद 1627 से 1657 तक शाहजहां का शासन आया और फिर शाहजहां का बेटा औरंगजेब, जिसने 1658 से 1707 तक शासन किया। औरंगजेब की एक एक-एक कहानी बताती है कि वह कितना क्रूर शासक था।

औरंगजेब ने सत्ता के लिए अपने पिता को किया कैद, भाईयों की हत्या

औरंगजेब ने सत्ता के लिए अपनों का संहार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उसने अपने पिता शाहजहां को आगरा किले में कैद कर दिया जहां उसकी मौत हो गई।। औरंगजेब ने अपने ही बड़े भाई दारा शिकोह को पकड़कर उसे सार्वजनिक रूप से मौत के घाट उतारा और उसके कटे सिर को पिता शाहजहां के पास भेजा। छोटे भाई मुराद बख्श और शुजा को मरवा दिया, यहां तक कि अपने बेटे तक को नहीं छोड़ा। एक बेटे को अंधा करवाया और दूसरे को कैद में डाल दिया।

औरंगजेब ने हिंदुओं पर लगाया जजिया कर, खेला जबरन धर्म परिवर्तन का खेल

औरंगजेब ने 1679 में हिंदुओं पर जजिया कर लगाया, जिससे हिंदुओं को अपने ही धार्मिक स्थलों पर जाने के लिए कर देना पड़ता था। उसने लाखों हिंदुओं और सिखों का बलपूर्वक इस्लाम में परिवर्तन करवाया, हिंदू त्योहारों पर पाबंदी लगाई और मंदिरों को तोड़ने का फरमान जारी किया।

औरंगजेब ने कराया गुरु तेग बहादुर की नृशंस हत्या और संभाजी महाराज का कत्ल

औरंगजेब ने 9वें सिख गुरु तेग बहादुर को जबरन इस्लाम कबूल करने का दबाव बनाया, मना करने पर 1675 में दिल्ली के चांदनी चौक में सिर कलम करवा दिया, जहां अब शीशगंज गुरुद्वारा है। औरंगजेब ने छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे संभाजी को भी जबरन धर्म परिवर्तन के लिए प्रताड़ित किया और नहीं मानने पर 11 मार्च 1689 को उन्हें भी दर्दनाक मौत दी।

हजारों मंदिरों का विध्वंस, हिंदू साधु-संतों पर जुल्म, कहती है औरंगजेब की क्रूरता की कहानी

औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ, सोमनाथ, मथुरा और अयोध्या समेत 1000 से अधिक मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया, कई स्थानों पर मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनवाई। उसने संत रामदास सहित कई संतों पर अत्याचार किए, हिंदू ग्रंथों को जलाने और संस्कृत विद्यालयों को बंद करने के आदेश दिए।

औरंगजेब की मृत्यु और मुगल साम्राज्य के पतन की नींव

औरंगजेब की कठोर नीतियों ने पूरे भारत में विद्रोह भड़का दिया। मराठा, राजपूत, जाट और सिखों ने खुलकर विद्रोह किया, जिससे मुगलों का साम्राज्य कमजोर हो गया। औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य तेजी से गिरने लगा और अंततः 1857 तक यह पूरी तरह समाप्त हो गया।

औरंगजेब केवल सत्ता के लिए नहीं जाना जाता, बल्कि उसकी क्रूर नीतियों ने उसे भारत के सबसे अत्याचारी शासकों में से एक बना दिया। उसने अपने ही परिवार का खून बहाया, हिंदुओं और सिखों पर अमानवीय जुल्म किए, मंदिरों को नष्ट किया और जबरन धर्म परिवर्तन कराए। उसकी नीतियों ने न केवल जनता को दुखी किया, बल्कि मुगलों के अंत का भी कारण बनीं। यही कारण है कि उसे एक कट्टर, निर्दयी और क्रूर शासक के रूप में याद किया जाता है।