ULIP Plan : यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान एक ऐसा फाइनेंशियल टूल है, जो बीमा और निवेश दोनों को एक साथ जोड़ता है। इसमें आप न सिर्फ इंश्योरेंस मिलता है, बल्कि इक्विटी या डेट फंड्स में निवेश कर रिटर्न भी कमा सकते हैं। जानिए डिटेल्स...
ULIP Advantages and Disadvantages : बचत करनी है, बीमा भी चाहिए और रिटर्न भी मिल जाए, क्या ऐसा कोई तरीका है? यही सवाल हममें से बहुत से लोग पूछते हैं। अलग-अलग पॉलिसी और स्कीम्स की उलझनों में पड़ना किसी को पसंद नहीं होता है। अगर आप भी सोच रहे हैं कि आपकी मेहनत की कमाई एक ही स्कीम में सुरक्षित भी रहे और बढ़े भी तो ULIP आपके लिए बेस्ट ऑप्शन हो सकता है। इसमें एक ही पॉलिसी में इन्वेस्टमेंट और इंश्योरेंस दोनों का फायदे मिल जाते हैं। आइए जानते हैं इस स्कीम के बारें में फुल डिटेल्स...
ULIP क्या है?
ULIP (Unit Linked Insurance Plan) एक ऐसा फाइनेंशियल प्रोडक्ट है, जो आपको लाइफ इंश्योरेंस यानी जीवन बीमा और निवेश दोनों की सुविधा एक साथ देता है। जब आप ULIP में प्रीमियम भरते हैं, तो उसका एक हिस्सा आपके जीवन बीमा कवर के लिए जाता है और बाकी पैसा मार्केट-लिंक्ड फंड्स जैसे इक्विटी, डेट या हाइब्रिड स्कीम्स में लगाया जाता है। इसे IRDAI (Insurance Regulatory and Development Authority) रेगुलेट करता है। लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स, मध्यम जोखिम लेने वाले लोग और फाइनेंशियल प्लानिंग करने वाली फैमिली के लिए ये बेस्ट माना जाता है।
ULIP कैसे काम करता है?
प्रीमियम का बंटवारा
आपका दिया हुआ प्रीमियम दो हिस्सों में बंट जाता है, एक हिस्सा बीमा कवर के लिए और दूसरा हिस्सा आपके चुने गए निवेश फंड में चला जाता है।
फंड में निवेश और यूनिट मिलना
आपके पैसे को यूनिट्स में बदला जाता है। यूनिट की कीमत NAV (नेट एसेट वैल्यू) पर बेस्ड होती है। जैसे अगर एनएवी 100 रुपए है और आपने 50,000 रुपए इन्वेस्ट किए, तो आपको 500 यूनिट्स मिलेंगी। एनएवी मार्केट के प्रदर्शन के हिसाब से बदलता रहता है।
मृत्यु या मैच्योरिटी का लाभ
अगर किसी वजह से पॉलिसी होल्डर की मौत हो जाती है तो बीमा राशि या फंड वैल्यू में से जो अधिक हो, वो नॉमिनी को दी जाती है, वहीं मैच्योरिटी पर पूरे फंड का वैल्यू यूनिट्स × NAV के अनुसार आपको मिलता है।
ULIP लेने के फायदे क्या-क्या हैं?
- बीमा और इन्वेस्टमेंट एक साथ हो जाता है। आपको अलग-अलग प्रोडक्ट में पैसे नहीं लगाने पड़ते। एक ही स्कीम से सुरक्षा और संपत्ति दोनों मिलती है।
- आपका पैसा शेयर बाजार और डेट फंड्स में लगता है। लॉन्ग टर्म में यह महंगाई को मात देकर अच्छा रिटर्न दे सकता है।
- ULIP में आप इक्विटी और डेब्ट के बीच स्विच कर सकते हैं, वो भी टैक्स फ्री। यह आपको मार्केट मूवमेंट के अनुसार कंट्रोल देता है।
- धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपए तक और धारा 10(10D) के तहत मैच्योरिटी राशि टैक्स फ्री का बेनिफिट
- 5 साल बाद आप कुछ फंड जरूरत के अनुसार निकाल सकते हैं।
- आपको हर महीने फंड रिपोर्ट, NAV, परफॉर्मेंस ट्रैकिंग मिलती है, सब कुछ डिजिटल और क्लियर होता है।
- ULIP में आप क्रिटिकल इलनेस, एक्सीडेंट जैसी समस्याओं के राइडर जोड़ सकते हैं, जो इसे और पावरफुल बनाता है।
ULIP में निवेश की सावधानियां
- ULIP के रिटर्न बाजार के प्रदर्शन पर आधारित होते हैं। अगर आप रिस्क नहीं लेना चाहते, तो डेट फंड ऑप्शन चुनें।
- ULIP में प्रीमियम अलॉटमेंट, एडमिन, फंड मैनेजमेंट जैसे कई चार्ज होते हैं, जो शुरुआत में रिटर्न को कम कर सकते हैं।
- ULIP में 5 साल तक पैसा नहीं निकाल सकते। बीच में सरेंडर करने पर नुकसान हो सकता है।
- ULIP को समझने और फंड स्विच करने के लिए थोड़ी फाइनेंशियल जानकारी जरूरी है।
- ULIP का बीमा कवर अक्सर कम होता है, इसलिए अलग से टर्म प्लान लेना भी जरूरी हो सकता है।
ULIP vs SIP vs LIC: कौन किसके लिए बेस्ट?
ULIP | SIP (म्यूचुअल फंड) | LIC | |
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बीमा कवर | हां | नहीं | हां |
रिटर्न | मीडियम से हाई (मार्केट पर) | हाई (मार्केट पर) | कम और निश्चित |
टैक्स छूट | 80C + 10(10D) | ELSS में | 80C + 10(10D) |
फ्लेक्सिबिलिटी | फंड स्विचिंग | SIP अमाउंट बदल सकते हैं | लिमिटेड ऑप्शन |
लॉक-इन पीरियड | 5 साल | 3 साल (ELSS) | 10-20 साल |
पारदर्शिता | हां | हां | नहीं |
ULIP में निवेश करने से पहले किन बातों का ध्यान रखें?
- कंपनी की क्लेम सेटेलमेंट रेशियो और क्रेडिट देखें।
- पिछले 5-10 साल फंड्स का परफॉर्मेंस जरूर देखें।
- अपने फाइनेंशियल गोल्स को सामने रखें, जैसे बच्चों की पढ़ाई, रिटायरमेंट और अन्य।
- बीमा कवर आपके लिए पर्याप्त है या नहीं।
- चार्जेज, लॉक-इन, सरेंडर टर्म्स अच्छे से समझें।
- फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें।
डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल सिर्फ सामान्य जानकारी देने के लिए है। इसमें दी गई जानकारी किसी भी तरह की निवेश सलाह, बीमा सिफारिश या सलाह नहीं है। ULIP या अन्य किसी भी योजना में निवेश करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर या बीमा एजेंट से सलाह जरूर लें।