Penny Stock Multibagger Return: एक सेमीकंडक्टर स्टॉक दो साल से भी कम समय में 15 रुपए से बढ़कर 11,900 रुपए पर पहुंच गया। महज 20 महीनों में ही 79,000% से भी ज्यादा का रिटर्न दिया है। जानिए शेयर में इतना जबरदस्त उछाल कैसे आया?
RRP Semiconductor Share Return: शेयर बाजार में अब तक आपने कई पेनी स्टॉक के मल्टीबैगर बनने की कहानी सुनी होगी, लेकिन एक सेमीकंडक्टर ने तो गजब ही कर दिया। महज 20 महीने में 15 रुपए का यह शेयर 79,000% उछलकर 11,902 रुपए पर पहुंच गया। इस दौरान इसका रिटर्न बेहद चौंकाने वाला रहा। इसकी रफ्तार ने देश ही नहीं दुनियाभर को हैरान किया और SEBI और BSE को भी इस शेयर पर कड़ी नजर रखने के लिए मजबूर कर दिया। मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड इसकी तेजी की जांच कर रही हैं, ट्रेडिंग पर भी पाबंदी लगा दी गई है।
15 रुपए का शेयर, रिटर्न हैरान कर देने वाला
अप्रैल 2024 में आरआरपी सेमीकंडक्टर का शेयर करीब 15 रुपए पर ट्रेड कर रहा था। तब यह एक ऐसा नाम था, जिसे बाजार में गिनती के लोग ही जानते थे। लेकिन अगले 20 महीनों में यही शेयर करीब 793 गुना चढ़ गया। नवंबर में इसने 11,902 रुपए का 52-वीक हाई बनाया और 15 दिसंबर को 11,095 रुपए पर बंद हुआ। इतनी तेज़ रफ्तार ने सिर्फ छोटे निवेशकों को ही नहीं, बल्कि पूरे बाजार को चौंका दिया।
RRP Semiconductor Share: सेबी का एक्शन
शेयर की हैरान करने वाली रफ्तार देख SEBI और BSE की नजरें भी इस पर टिक गईं। रेगुलेटर्स ने स्टॉक को सख्त सर्विलांस में डाल दिया। अब हालात यह हैं कि आरआरपी सेमीकंडक्टर का शेयर हफ्ते में सिर्फ एक दिन, वह भी 1% प्राइस बैंड के साथ ट्रेड कर सकता है। नतीजा यह हुआ कि अपने टॉप से यह शेयर करीब 6% फिसल चुका है। इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि BSE के आंकड़ों के मुताबिक, इस शेयर में हफ्तेभर में औसतन सिर्फ 19 शेयरों का ही ट्रेड हो रहा है।
RRP Semiconductor: गिरावट के बावजूद रिकॉर्ड रिटर्न
पिछले एक महीने में आरआरपी सेमीकंडक्टर का शेयर 2.97% फिसला है। लेकिन इसके बावजूद आंकड़े चौंकाने वाले हैं, पिछले 6 महीनों में 529.75%, 1 साल में 6,897.76% और साल दर साल आधार पर 5,881.11% की तेजी आई। फिलहाल, 15 दिसंबर के बाद से शेयर पर कड़ी निगरानी है और ट्रेडिंग सीमित कर दी गई है।
RRP Semiconductor Share: इतनी तेजी कैसे आई?
Indian Nvidia का टैग
शेयर की इस तेजी के पीछे मजबूत बिजनेस या शानदार कमाई जैसी वजहें नहीं हैं। 2024 में कंपनी ने खुद को रियल एस्टेट और ट्रेडिंग से हटाकर सेमीकंडक्टर और डिजिटल चिप्स की थीम से जोड़ लिया। नाम बदलकर आरआरपी सेमीकंडक्टर कर दिया गया। उसी दौर में भारत में AI और सेमीकंडक्टर सेक्टर को लेकर जो माहौल बना, उसी लहर में निवेशकों ने इस शेयर को 'Indian Nvidia' जैसा टैग दे दिया। हकीकत यह है कि कंपनी का असल सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग से कोई सीधा जुड़ाव नहीं है, लेकिन उम्मीदों का बाजार पहले ही गरम हो चुका था।
कम शेयर, ज्यादा उछाल का खेल
इसकी तेजी का दूसरा अहम फैक्टर बेहद कम फ्री-फ्लोट है। कंपनी के 98% से ज्यादा शेयर प्रमोटर्स और उनसे जुड़े लोगों के पास हैं। पब्लिक के लिए बचे सिर्फ करीब 2% शेयर। ऐसी स्थिति में थोड़ा-सा खरीद दबाव भी शेयर को बार-बार अपर सर्किट तक ले गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह शेयर लगातार 149 बार अपर सर्किट में फंसा रहा। यानी खरीदने वाले ज्यादा, बेचने वाले ना के बराबर।
सोशल मीडिया हाइप
तीसरा फैक्टर सोशल मीडिया हाइप रहा। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर अफवाहें फैलीं कि कंपनी को सरकारी जमीन मिली है या सचिन तेंदुलकर इससे जुड़े हैं। बाद में कंपनी को खुद सामने आकर कहना पड़ा कि ये सभी दावे गलत हैं और इस तरह की अफवाहों के खिलाफ पुलिस शिकायत तक दर्ज कराई गई। हुआ यूं कि सितंबर 2024 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और क्रिकेट लीजेंड सचिन तेंदुलकर कंपनी की एक इलेक्ट्रॉनिक्स यूनिट के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इसी इवेंट के बाद सोशल मीडिया पर यह चर्चा तेज हो गई कि तेंदुलकर ने कंपनी में निवेश किया है या सरकार ने जमीन दी है। हालांकि, कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में साफ किया कि न तो कोई सेलेब्रिटी निवेशक है और न ही किसी सरकारी इंसेंटिव स्कीम के लिए आवेदन किया गया है।
कमजोर फाइनेंशियल्स ने बढ़ाई चिंता
SEBI की जांच की एक बड़ी वजह कंपनी के कमजोर वित्तीय आंकड़े भी हैं। आरआरपी सेमीकंडक्टर का टर्नओवर सिर्फ 2.11 लाख रुपए बताया गया है, जबकि जुलाई-सितंबर 2025 तिमाही में 7 करोड़ रुपए से ज्यादा का घाटा हुआ। इसके बावजूद, ट्रेडिंग पर पाबंदी से पहले कंपनी का मार्केट कैप करीब 15,116 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका था। यही विरोधाभास नियामकों के लिए बड़ा रेड फ्लैग बना।
सिर्फ दो कर्मचारी, प्रमोटर का पूरा कंट्रोल
RRP की मौजूदा संरचना अप्रैल 2024 में बनी, जब राजेंद्र चोडंकर ने जीडी ट्रेडिंग एंड एजेंसीज (GD Trading and Agencies) नाम की कंपनी का अधिग्रहण किया। इस कंपनी में उस वक्त सिर्फ दो कर्मचारी थे। अधिग्रहण के दौरान ₹8 करोड़ के कर्ज को इक्विटी में बदला गया, जिससे चोडंकर की हिस्सेदारी 74.5% हो गई। बाद में बोर्ड ने कुछ चुनिंदा लोगों को ₹12 प्रति शेयर के भाव पर शेयर अलॉट किए, जो उस समय के मार्केट प्राइस से करीब 40% कम था। इसके बाद कंपनी का नाम बदलकर आरआरपी सेमीकंडक्टर कर दिया गया। आज स्थिति यह है कि करीब 98% शेयर प्रमोटर और उनसे जुड़े लोगों के पास हैं।
डिस्क्लेमर: यह आर्टिकल सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई शेयर बाजार से जुड़ी जानकारी, आंकड़े और विचार निवेश सलाह नहीं हैं। शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है। किसी भी स्टॉक में निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह जरूर लें।


