सार

Operation Sindoor: किंग्स कॉलेज लंदन के विशेषज्ञ डॉ. वॉल्टर लैडविग ने कहा कि भारत-पाक सीजफायर दोनों देशों की आपसी समझ और इच्छा से हुआ है इसमें किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं थी। 

Operation Sindoor: किंग्स कॉलेज लंदन में अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ डॉ. वॉल्टर लैडविग ने भारत-पाकिस्तान सीजफायर को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच गोलीबारी रोकी गई है वह वापसी समझ और इच्छा से की गई है। इसमें किसी बाहरी ने किसी तरह की मध्यस्थता नहीं की। डॉ. लैडविग ने ये साफ शब्दों में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का यह दावा गलत है कि उनके दबाव में सीजफायर हुआ।

“भारत आने वाले समय में और तेजी से आगे बढ़ेगा”

डॉ. वॉल्टर लैडविग ने कहा कि भारत बहुत तेजी से तरक्की कर रहा है और उसकी विकास हर साल लगभग 7% की रफ्तार से बढ़ रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत आने वाले समय में और तेजी से आगे बढ़ेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता के दावे पर लैडविग ने कहा, "ट्रंप ने कहा कि उन्होंने भारत-पाक के बीच मध्यस्थता कराई लेकिन मुझे नहीं लगता कि किसी मध्यस्थता की जरूरत थी।" उन्होंने बताया कि अमेरिका जरूर बातचीत कर रहा था, लेकिन वह अकेला देश नहीं था। असल में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने का फैसला दोनों देशों की आपसी समझ और इच्छा से हुआ था।

 

 

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को खाली कराना फिलहाल मुख्य मुद्दा

इसके अलावा उन्होंने ये साफ कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर से जुड़ा कोई भी मुद्दा सिर्फ पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय बातचीत से ही सुलझाया जाएगा। भारत को किसी तीसरे देश की मदद या दखल की जरूरत नहीं है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने भी मीडिया से बातचीत में कहा कि भारत की नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है । पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को खाली कराना फिलहाल मुख्य मुद्दा है।

डॉ. वॉल्टर लैडविग ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि उनके प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने में बड़ी भूमिका निभाई है। इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए डॉ. वॉल्टर लैडविग ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच शांति की दिशा में जो भी कदम उठाए गए, वे दोनों देशों की आपसी समझ का नतीजा थे। उन्होंने यह भी बताया कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद कई देशों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत का समर्थन किया, जिनमें पश्चिमी देश और रूस भी शामिल थे।

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