Pakistan National Command Autority: 9 मई को पाकिस्तान ने रात 7.47 से 10.57 के बीच जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात के 26 शहरों में 550 से ज्यादा ड्रोन दागे। इस हमले को आर्मी ने नाकाम कर दिया। इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तान के 4 एयरबेस पर हमला किया, जिससे बौखलाए पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) की बैठक बुलाई है। भारत से बढ़ते तनाव के बीच इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है। आखिर क्या है NCA और कैसे करती है काम, जानते हैं?
2000 में हुई NCA की स्थापना
पाकिस्तान की नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) वहां की हाइएस्ट सिविल एंड मिलिट्री बॉडी है, जो न्यूक्लियर वेपंस प्रोग्राम और स्ट्रैटेजिक एसेट्स को कमांड, कंट्रोल और ऑपरेशन से जुड़े फैसले लेने के लिए जिम्मेदार है। NCA की स्थापना पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने फरवरी 2000 में की थी। इसका हेडक्वार्टर इस्लामाबाद में है।
NCA का क्या है काम?
पाकिस्तान की नेशनल कमांड अथॉरिटी के पास परमाणु और मिसाइल पॉलिसी के मुद्दों पर फैसले लेने की जिम्मेदारी है। इसके अलावा एनसीए के पास स्ट्रैटेजिक न्यूक्लियर फोर्सेस और ऑर्गेनाइजेशंस के लिए नीति निर्धारित करना और परमाणु मिसाइल कार्यक्रमों की मॉनिटरिंग करने का जिम्मा भी है।
NCA में कौन-कौन शामिल?
NCA की अध्यक्षता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के हाथों में हैं। वहीं, इसके अन्य मेंबर्स में विदेश मंत्री इशाक डार, गृह मंत्री मोहसिन रजा नकवी, वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब, रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ, चीफ ऑफ जॉइंट स्टाफ कमेटी जनरल सहिर शमशाद मिर्जा, सेना प्रमुख जनरल असिम मुनीर, नौसेना प्रमुख एडमिरल नवेद अशरफ, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ज़हीर अहमद बाबर शामिल हैं।
किस आधार पर फैसले करती है NCA
NCA के कोई भी बड़ा फैसला लेने की प्रॉसेस में आम सहमति या फिर वोटिंग होती है। इसमें हर एक मेंबर का 1 वोट होता है। बहुमत के आधार पर ही एनसीए को फैसला लेने का अधिकार है।
2009 से पाकिस्तानी पीएम को मिली NCA की अध्यक्षता
पहले NCA की अध्यक्षता पाकिस्तान के राष्ट्रपति करते थे। 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने इसकी अध्यक्षता की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री को सौंप दी। NCA का मकसद पाकिस्तान के परमाणु हथियारों और रणनीतिक मिसाइलों के इस्मेमाल, विकास और सुरक्षा पर कंट्रोल रखना है।
NCA के पास क्या-क्या जिम्मेदारी?
NCA के पास न्यूक्लियर वेपंस के इस्तेमाल और तैनाती की नीति निर्धारित करने के साथ ही बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों के डेवलपमेंट और तैनाती की देखरेख का काम है। इसके अलावा युद्ध के हालातों में परमाणु हथियारों के इस्मेमाल पर फैसला लेने का भी अधिकार है।