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Hormuz Strait बंद होने से भारत-चीन सहित एशियाई अर्थव्यवस्थाएं संकट में, तेल आपूर्ति पर मंडराया खतरा
Strait of Hormuz Blockade Impact: अमेरिका-ईरान टकराव के बीच Hormuz Strait के बंद होने की आशंका से एशिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को झटका लग सकता है। भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया की तेल आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।
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एशियाई शक्तियों की तेल आपूर्ति बाधित
Hormuz Strait Closure Impact: ईरान पर अमेरिकी हमलों और Tehran की संभावित प्रतिक्रिया के चलते दुनिया का सबसे संवेदनशील व्यापारिक रूट हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) संकट में है। अगर ईरान इस रूट को बंद करता है तो भारत, चीन, दक्षिण कोरिया और जापान जैसी एशियाई शक्तियों की तेल आपूर्ति गंभीर रूप से बाधित हो सकती है।
हॉर्मुज़ से गुजरता है 20% वैश्विक तेल
अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (EIA) के मुताबिक, 2025 की पहली तिमाही में 14.2 मिलियन बैरल कच्चा तेल प्रतिदिन, 5.9 मिलियन बैरल पेट्रोलियम उत्पाद प्रतिदिन, हॉर्मुज़ जलडमरूमध्य से होकर गुजरे यानी वैश्विक उत्पादन का करीब 20%।
चीन: सबसे बड़ा संकटग्रस्त खरीदार
चीन प्रतिदिन 5.4 मिलियन बैरल कच्चा तेल इसी रूट से मंगाता है। सऊदी अरब और ईरान इसके प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं। अप्रैल 2025 में 1.3 मिलियन बैरल ईरानी तेल आयात किया। विश्लेषकों के अनुसार, अगर यह रूट बंद हुआ तो चीनी रिफाइनरियों और लॉजिस्टिक्स सेक्टर को बड़ा झटका लग सकता है।
भारत: 53% तेल हॉर्मुज़ से आता है
भारत ने पहली तिमाही में 2.1 मिलियन बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल इसी रूट से मंगाया। इसके मुख्य सप्लायर इराक और सऊदी अरब हैं। हाल के वर्षों में रूसी तेल आयात में वृद्धि के बावजूद, हॉर्मुज़ निर्भरता अब भी अहम। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि हॉर्मुज़ पर बढ़ते तनाव को लेकर सरकार सतर्क है और आपूर्ति की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सभी विकल्पों पर विचार कर रही है।
दक्षिण कोरिया: 68% आयात इसी रूट से
दक्षिण कोरिया में इसी रूट से 68 प्रतिशत इंपोर्ट होता है। यहां 1.7 मिलियन बैरल प्रति दिन तेल आता है हॉर्मुज़ से और सबसे बड़ा सप्लायर सऊदी अरब (1/3 हिस्सा) है। सरकार के पास 200 दिन की रणनीतिक भंडारण क्षमता है। ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि हम संभावित व्यवधान की स्थिति में वैकल्पिक योजनाएं तैयार कर रहे हैं।
जापान: 95% तेल मध्य पूर्व से
जापान प्रतिदिन 1.6 मिलियन बैरल कच्चा तेल इसी रूट से आयात करता है। पिछले साल 95% तेल आयात मध्य पूर्व से हुआ। Mitsui OSK जैसी शिपिंग कंपनियां खाड़ी में बिताए समय को घटाने के उपायों पर काम कर रही हैं। इसके अलावा थाईलैंड, फिलीपींस, यूरोप, अमेरिका 2 मिलियन बैरल/दिन एशिया के अन्य देशों के लिए करते हैं।
यह देश भी करते हैं इस रूट का इस्तेमाल
- यूरोप: 0.5 मिलियन बैरल
- अमेरिका: 0.4 मिलियन बैरल
सीमित विकल्प और बायपास की मुश्किलें
सऊदी और UAE के पास बायपास पाइपलाइन है लेकिन क्षमता सिर्फ 2.6 मिलियन बैरल/दिन की है। ईरान की गोरेह-जस्क पाइपलाइन निष्क्रिय है, अधिकतम क्षमता 300,000 बैरल/दिन की है। EIA के मुताबिक, ओपेक+ का अतिरिक्त उत्पादन भी फारस की खाड़ी पर निर्भर है।