Pakistan Water Crisis: पाकिस्तान में पानी संकट गहरा गया है। भारत द्वारा सिंधु जल संधि स्थगित करने के बाद पाकिस्तान के डैम सूखने लगे हैं। इसका असर खरीफ की फसल पर दिख रहा है।
Indus Waters Treaty: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने हमला किया, जिससे 26 लोग मारे गए। इसके बाद भारत ने सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) स्थगित कर दी। इसका असर जमीन पर दिख रहा है। पाकिस्तान पानी को तरस गया है। खरीफ सीजन में पाकिस्तान के पास सिंचाई के लिए पानी नहीं है। उसके डैम सूख गए हैं।
पाकिस्तान में दो प्रमुख बांध झेलम नदी पर मंगला और सिंधु नदी पर तरबेला अपने-अपने 'मृत स्तर' के करीब पहुंच गए हैं। भारत से पश्चिमी नदियों का प्रवाह न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। आने वाले सप्ताहों में स्थिति और भी गंभीर होने की आशंका है। भारत अपनी भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए जम्मू-कश्मीर में स्थित बांधों से नियमित रूप से गाद निकाल रहा है। इससे पाकिस्तान में पानी का प्रवाह और भी कम हो जाएगा।
पाकिस्तान को पानी कम मिल रहा, खर्च हो रहा अधिक
पाकिस्तान के IRSA (Indus River System Authority) के अनुसार पाकिस्तान ने बुधवार को प्रवाह की तुलना में 11,180 क्यूसेक अधिक पानी छोड़ा। TOI की रिपोर्ट के अनुसार सिंधु पर तरबेला, झेलम पर मंगला, चिनाब पर मारला और काबुल नदी पर नौशेरा पर पानी का बहाव मापा गया। इन डैम तक पानी 2,41,611 क्यूसेक आया, लेकिन छोड़ा 2,52,791 क्यूसेक गया।
बुधवार को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत को 1,14,600 क्यूसेक पानी मिला। पिछले साल इसी दिन पंजाब को 1,43,600 क्यूसेक पानी मिला। पानी की सप्लाई में 20% कमी आई है। ऐसा तब है जब खरीफ की खेती शुरू हो चुकी है।
पाकिस्तान के पास सिंचाई के पानी का विकल्प नहीं
पाकिस्तान को भारत की ओर से पानी की सप्लाई कम हुई है। पाकिस्तान के पास मानसून आए से पहले सिंचाई के लिए पानी के बहुत कम विकल्प हैं। पाकिस्तान की IRSA सलाहकार समिति ने पिछले महीने अपनी बैठक में शुरुआती खरीफ सीजन (1 मई-10 जून) के लिए 21% की कुल कमी को स्वीकार किया। इसमें "भारत द्वारा कम आपूर्ति के कारण" मारला में चेनाब के प्रवाह में "अचानक कमी" का उल्लेख किया गया। इसने खरीफ सीजन के अंत (11 जून-30 सितंबर) में 7% की कमी की उम्मीद जताई।
क्या है सिंधु जल संधि?
भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में सिंधु जल संधि हुई थी। इसके तहत, पूर्वी नदियों (सतलुज, व्यास और रावी) का सारा पानी जो सालाना लगभग 33 मिलियन एकड़ फीट (MAF) है भारत को आवंटित किया गया। भारत के पास इसका पूरा इस्तेमाल करने का अधिकार था। वहीं, पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम और चिनाब) का पानी जो सालाना लगभग 135 MAF है बड़े पैमाने पर पाकिस्तान को सौंपा गया है। भारत इसका इस्तेमाल तो कर सकता था, लेकिन पाकिस्तान को होने वाले पानी के बहाव को कम नहीं कर सकता था।
संधि के अनुसार भारत को पश्चिमी नदियों पर रन-ऑफ-द-रिवर परियोजनाओं के माध्यम से जलविद्युत उत्पादन का अधिकार दिया गया है। संधि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों पर भारतीय जलविद्युत परियोजनाओं के डिजाइन पर आपत्ति करने का अधिकार भी देती है।
पाकिस्तान को सिंधु जल निकासी प्रणाली में लगभग 80% पानी मिला। भारत को सिंधु प्रणाली में 16.8 करोड़ एकड़ फीट पानी में से लगभग 3.3 करोड़ एकड़ फीट पानी मिला। पाकिस्तान सिंधु जल सिस्टम के पानी पर पूरी तरह निर्भर है। सिंचाई हो या पीने का पानी पाकिस्तान इसके लिए सिंधु और उसकी सहायक नदियों के पानी पर निर्भर है।