पाकिस्तान ब्रह्मोस मिसाइल के हमले से डरा हुआ है और उसे रोकने के उपाय खोज रहा है। चीनी एयर डिफेंस सिस्टम नाकाम होने के बाद, पाकिस्तान अब जर्मनी से IRIS-T SLM एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने पर विचार कर रहा है।

BrahMos Missile: ऑपरेशन सिंदूर के बाद 6 से 10 मई तक भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष हुआ। इस दौरान पाकिस्तान को जिसका डर था वही हुआ। पाकिस्तान को खौफ था कि भारत अपने ब्रह्मोस मिसाइल से हमला करेगा। उसके पास इसे रोकने की ताकत नहीं है। लड़ाई के दौरान इंडियन एयर फोर्स ने सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमानों से पाकिस्तान के एयर बेस और दूसरे अहम ठिकानों पर अटैक किया। पाकिस्तान दुनिया के सबसे ताकतवर क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस को रोक नहीं सका।

चीनी एयर डिफेंस सिस्टम नहीं आया काम

पाकिस्तान अब तक एयर डिफेंस सिस्टम के लिए चीन पर निर्भर रहा है। वह चीन से लिए गए HQ-9 और HQ-16 एयर डिफेंस पाकिस्तान के काम नहीं आए। ये भारत द्वारा मिसाइल और ड्रोन से किए गए हमलों को नाकाम नहीं कर सके। यही वजह है कि पाकिस्तान अब ब्रह्मोस से बचने के लिए चीन के इतर दूसरे देशों की ओर देख रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार चीन जर्मनी द्वारा बनाए गए एयर डिफेंस सिस्टम को खरीदने की संभावना तलाश रहा है। कहा जा रहा है कि इसने यूक्रेन में ब्रह्मोस के समान रूसी क्रूज मिसाइल को सफलतापूर्वक रोका है।

जर्मनी से IRIS-T SLM खरीदना चाह रहा पाकिस्तान

पिछले महीने यूक्रेन ने दावा किया था कि उसने जर्मन एयर डिफेंस सिस्टम IRIS-T SLM की मदद से एक साल में 60 मिसाइलों को सफलतापूर्वक मार गिराया है। जर्मनी की डाइहल डिफेंस द्वारा विकसित इस एयर डिफेंस सिस्टम ने रूसी P-800 ओनिक्स मिसाइल के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया। इसे कुछ हद तक भारत के ब्रह्मोस जैसा माना जाता है।

IRIS-T SLM का मतलब इन्फ्रारेड इमेजिंग सिस्टम-टेल/थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल्ड-सरफेस-लॉन्च मिसाइल है। यह मध्यम दूरी की एयर डिफेंस सिस्टम है। पहली बार 1990 में विकसित की गई इस सिस्टम को कई बार अपग्रेड किया गया है। इसमें एक रडार, एक ऑपरेशन सेंटर और कई लॉन्चर शामिल हैं।

2023 में जर्मनी ने अपनी वायु सेना के लिए छह IRIS-T एयर डिफेंस सिस्टम खरीदीं। इसकी कुल लागत लगभग 900 मिलियन यूरो (8309 करोड़ रुपए) है। इसकी रेंज लगभग 40 किलोमीटर है। यह 360 डिग्री तक नजर रख सकता है।

जर्मनी के साथ कैसे हैं भारत के रक्षा संबंध

पाकिस्तान के लिए जर्मनी से एयर डिफेंस सिस्टम खरीदना आसान नहीं है। अगर जर्मनी पाकिस्तान को महत्वपूर्ण हथियार देता है तो उसे भारत के साथ रक्षा संबंधों पर इसका असर देखना पड़ सकता है। IRIS-T बनाने वाली कंपनी डाइहल डिफेंस ने थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स के साथ साझेदारी की है। यह भारत में रक्षा परियोजनाओं में लगी हुई है। डाइहल और थिसेनक्रुप मिलकर 70,000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट 75I के तहत भारत में बनाई जा रही छह भारतीय नौसेना पनडुब्बियों के लिए इंटरएक्टिव डिफेंस एंड अटैक सिस्टम या आईडीएएस की आपूर्ति करने के लिए काम कर रहे हैं।