भारत और यूके ने मुक्त व्यापार समझौता किया है। इससे दोनों देशों को एक-दूसरे के यहां निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी। भारत के कपड़ा, चमड़ा, कृषि से लेकर इंजीनियरिंग तक कई क्षेत्रों को खास लाभ मिलेंगे।
India UK FTA Signed: भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच गुरुवार को मुक्त व्यापार समझौते (FTA) हो गया। यह लगभग सभी व्यापारिक वस्तुओं और सेवाओं के लिए यूके में शून्य-शुल्क पहुंच प्रदान करता है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से कृषि, मैन्युफैक्चरिंग, फूड प्रोसेसिंग और MSME को बढ़ावा मिलेगा।
भारत यूके मुक्त व्यापार समझौता क्या है?
भारत और यूके के बीच हुआ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) दोनों देशों के बीच व्यापार की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं पर टैरिफ को कम करने या समाप्त करने के लिए किया गया है। इससे सामानों की कीमत कम होगी। उन्हें दूसरे देश में बेचना आसान होगा। एक दूसरे देश में निर्यात बढ़ेगा, इससे अर्थव्यवस्थाओं को लाभ मिलेगा। FTA से विदेशी निवेश आकर्षित होगा। आइए जानते हैं भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते से किन क्षेत्रों को अधिक लाभ मिलने की उम्मीद है...
1- कृषि और मत्स्य पालन
इस समझौते से भारतीय किसानों को काफी लाभ होने की उम्मीद है। ब्रिटेन के प्रीमियम फूड मार्केट में शुल्क-मुक्त पहुंच से हल्दी, इलायची, काली मिर्च, दालें जैसी भारतीय खाद्य वस्तुओं और आम के गूदे व अचार जैसे प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट के निर्यात में अगले तीन वर्षों में 20% से ज्यादा की वृद्धि होने का अनुमान है। 95% से ज्यादा कृषि और प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट पर जीरो टैरिफ होगा। इससे यूके के बाजार में भारतीय खाद्य सामान कम कीमत में मिलेंगे। इनकी बिक्री बढ़ेगी।
कटहल, बाजरा, सब्जियों और जैविक जड़ी-बूटियों जैसी हाई वैल्यू वाली फसलों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। वहीं, घरेलू उत्पादकों की सुरक्षा के लिए डेयरी, सेब, जई और खाद्य तेल जैसे क्षेत्रों को टैरिफ रियायतों से बाहर रखा गया है। मत्स्य पालन क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा। आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और ओडिशा जैसे तटीय राज्यों को इससे बहुत लाभ होगा। झींगा, टूना और मछली जैसे सी फूड ब्रिटेन में शुल्क-मुक्त हो जाएंगे। इनपर वर्तमान टैरिफ 4.2% से 8.5% है।
2. प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट और बागान उत्पाद
भारत का फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र तेजी से बढ़ेगा। वर्तमान में यह ब्रिटेन को केवल 1.5 मिलियन पाउंड (17.54 करोड़ रुपए) का निर्यात करता है। ब्रिटेन 50 बिलियन डॉलर (4.31 लाख करोड़ रुपए) से अधिक के प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स का आयात करता है। FTA से भारत के बागान क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा। चाय, कॉफी और मसाला निर्यातकों को यूरोपीय देशों के साथ बेहतर प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी। ब्रिटेन के प्रीमियम बाजार में भारतीय इंस्टेंट कॉफी के विशेष रूप से अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है।
3. चमड़ा और जूते
भारत-यूके FTA से भारत का यूके को चमड़ा और जूते का निर्यात 1.5 मिलियन पाउंड (17.53 करोड़ रुपए ) से अधिक हो सकता है। इससे छोटे व्यवसायों और कारीगरों के लिए बड़े अवसर पैदा होंगे। भारतीय एमएसएमई को यूके के 23 बिलियन अमेरिकी डॉलर (1.98 लाख करोड़ रुपए) के चमड़ा और जूता बाजार में शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी। इससे कपड़ा, जूते, रत्न एवं आभूषण और फर्नीचर जैसे क्षेत्रों में भारत का निर्यात बढ़ेगा। भारत अब ब्रिटेन को कपड़ा, चमड़ा और जूते-चप्पल का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता बनने की स्थिति में है।
4. इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्यूटिकल्स
ब्रिटेन के साथ भारत के व्यापार समझौते से मशीनों और उपकरणों जैसे इंजीनियरिंग सामानों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। यह पिछले साल पहले ही 11.7% बढ़ चुका है। स्मार्टफोन और फाइबर केबल जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स में भी वृद्धि देखी जाएगी। भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियों के तेजी से विस्तार की उम्मीद है। यह समझौता भारत के दवा निर्यात के लिए भी महत्वपूर्ण अवसर पैदा करता है। ब्रिटेन काफी मात्रा में दवाइयां खरीदता है। वर्तमान में वह भारत से 1 अरब अमेरिकी डॉलर (8639 करोड़ रुपए) से भी कम की दवा आयात करता है।
5. MSME और महिला उद्यमी
एफटीए का उद्देश्य भारत के MSME इकोसिस्टम को मजबूत करना है। भारत के कारीगरों, छोटे निर्माताओं और महिला उद्यमियों को निर्यात बढ़ने से लाभ होगा। महिलाओं द्वारा संचालित व्यवसायों, विशेष रूप से वस्त्र, हथकरघा और जूते-चप्पल के क्षेत्र के फलने-फूलने की उम्मीद है। महिला कारीगर समूहों द्वारा निर्मित कोल्हापुरी चप्पल जैसे प्रतिष्ठित उत्पादों को अब प्रीमियम ब्रिटिश बाजारों में शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी।