Donald Trump Tariffs vs BRICS: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने BRICS गुट पर एक बार फिर हमला बोला है। इस बार उन्होंने उन सभी देशों पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है जो कथित तौर पर Anti-American policies अपना रहे हैं। Truth Social पर ट्रंप ने लिखा कि इस बार कोई अपवाद नहीं होगा। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि ये 'Anti-American policies' क्या हैं। छह महीने पहले ट्रंप ने धमकी दी थी कि अगर BRICS देशों ने डॉलर (US Dollar) को इंटरनेशनल ट्रेड से हटाने की कोशिश की, तो उन्हें 100% टैरिफ झेलना होगा। दरअसल, ट्रंप की नई टैरिफ ग्लोबल वर्ल्ड में डॉलर के कम होते वर्चस्व की बौखलाहट की एक झलक भी है। BRICS देशों का नई करेंसी को लेकर पहल ने दुनिया में वर्चस्व की एक नई जंग छेड़ दी है। एक तरफ अमेरिका सहित कुछ पश्चिमी देश हैं तो दूसरी ओर नया उभरता गुट BRICS है।
BRICS देशों की प्रतिक्रिया: हमें सम्राट नहीं चाहिए
- ट्रंप के इस ऐलान के बाद BRICS (ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन, साउथ अफ्रीका और नए सदस्य जैसे ईरान, UAE, मिस्र) ने कड़ा विरोध दर्ज कराया।
- ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने कहा कि यह बहुत गैर-जिम्मेदाराना फैसला है। हम आज़ाद देश हैं। हमें किसी सम्राट की ज़रूरत नहीं। उन्होंने डॉलर डिपेंडेंसी खत्म करने की प्रक्रिया को बिना वापसी वाला रास्ता बताया।
- चीन ने नर्मी से जवाब दिया कि टैरिफ और ट्रेड वॉर का कोई विजेता नहीं होता।
- रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव बोले: अमेरिका बार-बार अपनी ताकत का दुरुपयोग कर रहा है।
- भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) समेत अन्य नेताओं ने ब्राज़ील में हुए दो-दिवसीय BRICS समिट के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा कि हम एकतरफा टैरिफ और नॉन-टैरिफ उपायों को लेकर गहरी चिंता जताते हैं, जो WTO नियमों के खिलाफ हैं।
डॉलर की जगह नई करेंसी की तैयारी शुरू?
BRICS के साझा लक्ष्य में एक अहम एजेंडा है: डॉलर वर्चस्व को चुनौती देना और इंटरनल ट्रेड के लिए वैकल्पिक मुद्रा (Alternative Currency) खड़ी करना। लूला दा सिल्वा के मुताबिक, इस दिशा में step-by-step प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
BRICS देशों ने अपने बीच व्यापार के लिए लोकल पेमेंट सिस्टम विकसित करने और डॉलर पर निर्भरता कम करने पर काम तेज कर दिया है। इससे अमेरिका की वित्तीय पकड़ कमजोर होने का खतरा पैदा हो गया है।
ईरान-इस्राइल टकराव और अमेरिकी बमबारी पर बयान
अब जब ईरान BRICS का पूर्ण सदस्य बन चुका है तो समिट में अमेरिकी बमबारी और इस्राइली हमलों की भी चर्चा हुई। BRICS ने ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटीज़ पर हमले को इंटरनेशनल लॉ का उल्लंघन बताया। हालांकि, अमेरिका या इस्राइल का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया गया।
जम्मू-कश्मीर आतंकी हमले की निंदा
BRICS देशों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की भी कड़ी निंदा की। यह भारत के लिए एक अहम कूटनीतिक समर्थन है।
तो ट्रंप को BRICS से इतनी दिक्कत क्यों है?
क्योंकि BRICS धीरे-धीरे Global South (विकसित और विकासशील देशों) की आवाज़ बनता जा रहा है। अमेरिका और यूरोप के पारंपरिक दबदबे को सीधी चुनौती मिल रही है।
BRICS गुट में शामिल होने की होड़ मची हुई है। 2024 में मिस्र, UAE, ईथियोपिया और ईरान शामिल हुए। 2025 में इंडोनेशिया और अब 10 से ज्यादा देश, जैसे सऊदी अरब, पाकिस्तान, थाईलैंड, क्यूबा, सदस्यता के लिए कतार में हैं। यह विस्तार और मांग ट्रंप के लिए बड़ा खतरा है।
बोलिविया के राष्ट्रपति लुईस आर्स ने कहा कि दुनिया दो धड़ों में बंट रही है, एक तरफ अमेरिका-यूरोप का पुराना ठहरा हुआ समूह और दूसरी ओर उभरता हुआ BRICS ब्लॉक।