सार

अमेरिका-चीन टैरिफ वॉर से चीन में लाखों नौकरियां जाने का खतरा। कोविड और आर्थिक मंदी से जूझ रहे चीन में बेरोजगारी पहले से ही विकराल रूप ले चुकी है। क्या टैरिफ युद्ध से हालात और बिगड़ेंगे?

डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान चीन पर लगाए गए टैरिफ का चीन की अर्थव्यवस्था, खासकर रोजगार क्षेत्र पर गहरा असर पड़ा था। ट्रंप ने दावा किया था कि उनके टैरिफ के कारण चीन में 50 लाख नौकरियां गईं। हालांकि इन आंकड़ों पर अर्थशास्त्रियों में बहस छिड़ी, लेकिन इसने चीन की निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था में रोजगार के महत्व को उजागर किया।

ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के चार महीने बाद, अमेरिका और चीन फिर से टैरिफ वॉर के मुहाने पर हैं। इस बार, चीन का रोजगार क्षेत्र, खासकर फैक्ट्री की नौकरियां, चर्चा का केंद्र बन गया है। कोविड-19 महामारी और रियल एस्टेट क्षेत्र में गिरावट ने चीन की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है, जिससे रोजगार बाजार और कमजोर हो गया है। युवा बेरोजगारी दर दोहरे अंकों में है, और नए ग्रेजुएट्स के जॉब मार्केट में आने से स्थिति और गंभीर हो रही है।

बिगड़ते रोजगार हालात

'हालात वाकई बहुत खराब हैं,' निवेश बैंक नैटिक्सिस की एशिया-प्रशांत क्षेत्र की मुख्य अर्थशास्त्री एलिसिया गार्सिया-हेरेरो ने कहा। उन्होंने कहा कि दूसरे क्षेत्रों में नौकरियां घटने के साथ, चीन के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की 10 करोड़ नौकरियों को बचाना और भी जरूरी हो गया है।

हाल ही में दोनों देशों ने एक-दूसरे पर लगाए गए भारी टैरिफ को अस्थायी रूप से कम करने पर सहमति जताई है। यह दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को तबाह करने वाले पूर्ण व्यापार युद्ध से बचने की कोशिश है। लेकिन अगर अमेरिकी टैरिफ मौजूदा 30% या उससे ज्यादा पर बना रहता है, तो अमेरिका को चीन का निर्यात आधा हो जाएगा, जिससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में लगभग 60 लाख नौकरियां जा सकती हैं। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर व्यापार युद्ध फिर से शुरू होता है, तो नौकरियों का नुकसान 90 लाख तक पहुंच सकता है।

आर्थिक मंदी और बेरोजगारी

चीन की अर्थव्यवस्था कोविड के झटके से उबरने के लिए संघर्ष कर रही है। इस साल चीन सरकार 5% विकास दर का लक्ष्य लेकर चल रही है, लेकिन कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा। 2018 की शुरुआत में, चीन ने घोषणा की थी कि शहरों में बेरोजगारी दर 15 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है और देश ने रिकॉर्ड संख्या में नई नौकरियां पैदा की हैं। लेकिन उसके बाद, सरकार द्वारा तकनीक और ऑनलाइन शिक्षा जैसे क्षेत्रों पर लगाए गए प्रतिबंधों ने इन तेजी से बढ़ते क्षेत्रों को कमजोर कर दिया।

इन वर्षों में, खासकर युवाओं में बेरोजगारी तेजी से बढ़ी है। 16 से 24 साल के लोगों के लिए बेरोजगारी दर अप्रैल में 15.8% थी। हालांकि यह पिछले महीने से बेहतर है, लेकिन इस साल 1.2 करोड़ नए कॉलेज ग्रेजुएट्स के नौकरी बाजार में आने से यह दर फिर से बढ़ने की उम्मीद है। 2023 में युवा बेरोजगारी दर रिकॉर्ड 21.3% पर पहुंच गई थी, जिसके बाद चीन सरकार ने इन आंकड़ों को जारी करना बंद कर दिया। उस समय, एक प्रमुख अर्थशास्त्री ने दावा किया था कि वास्तविक आंकड़ा 50% के करीब है।

नौकरीपेशा लोगों की असुरक्षा

नौकरीपेशा लोगों की स्थिति भी अच्छी नहीं है। कुछ ही कंपनियां फुल-टाइम नौकरियां दे रही हैं। इसके बजाय, वे फूड डिलीवरी और मैन्युफैक्चरिंग जैसी सेवाओं के लिए गिग वर्कर्स पर निर्भर हैं। ये नौकरियां आमतौर पर कम वेतन, कम नौकरी की सुरक्षा और सीमित लाभ प्रदान करती हैं।

चीन को नजरअंदाज नहीं कर सकता अमेरिका

अमेरिका के सामने भी कुछ चुनौतियां हैं। अमेरिकी उद्योग चीन द्वारा नियंत्रित दुर्लभ पृथ्वी धातुओं और महत्वपूर्ण खनिजों पर बहुत अधिक निर्भर है। चीनी उत्पादों को रोकने से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है और उत्पादों की उपलब्धता कम हो सकती है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में, जब अमेरिका और चीन टैरिफ को अस्थायी रूप से रोकने पर सहमत हुए थे, उससे पहले चीन से नए निर्यात ऑर्डर 2022 के बाद के अपने सबसे निचले स्तर पर थे। सिर्फ एक महीने में भी, उच्च टैरिफ का रोजगार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा।

सरकारी हस्तक्षेप और भविष्य की संभावनाएं

रोजगार स्थिरता बनाए रखने के लिए, खासकर चीनी निर्यातकों के लिए, सरकार ने कई उपाय तैयार किए हैं। चीन सरकार ने कहा है कि वह कंपनियों को अपने कर्मचारियों को बनाए रखने में मदद करेगी और बेरोजगारों को उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित करेगी। रोजगार क्षेत्र की इन चिंताओं के बीच, मौजूदा टैरिफ युद्धविराम से थोड़ी राहत मिली है। हालांकि, अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि स्थिति बहुत अनिश्चित है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के बाहर नौकरी की गतिविधियों में दो साल से ज्यादा समय से गिरावट नए ग्रेजुएट्स के लिए चिंता का विषय है।