बांग्लादेश के चटगांव जिले में हिंदुओं पर हिंसा जारी है। पश्चिम सुल्तानपुर गांव में इस्लामी कट्टरपंथियों ने दो हिंदू परिवारों के घरों में आग लगा दी। दरवाजे बाहर से बंद थे, लेकिन 8 लोगों ने किसी तरह जान बचाई। घरों का सामान, नकदी और पासपोर्ट जल गए।
Bangladesh Violence: बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। सोमवार सुबह 3:45 बजे चटगांव जिले के पश्चिम सुल्तानपुर गांव में इस्लामी कट्टरपंथियों की भीड़ ने 2 हिंदू परिवारों के घरों को आग के हवाले कर दिया। इस दौरान भीड़ ने पीड़ितों के दरवाजे बाहर से बंद कर दिए थे। घटना में दोनों घरों के 7 कमरे पूरी तरह जल गए। ये दोनों घर सुखा शिल और अनिल शिल के थे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना के वक्त दोनों घरों में करीब 8 लोग मौजूद थे। सभी जब रात को खाना खाकर सो गए तो इस्लामी चरमपंथियों ने आग लगा दी। आग लगने के बाद मची अफरातफरी में जब घरवालों ने बाहर निकलने की सोची तो पता चला कि दरवाजे बाहर से बंद हैं। जान बचाने के लिए लोग बांस और टिन की चादरें काटकर किसी तरह बाहर निकले और खुद को सुरक्षित बचाया। आग अनिल शिल के घर का सामान और 90 हजार टका (बांग्लादेशी मुद्रा) कैश जल गया। इसके अलावा उसका पासपोर्ट भी जल चुका है।
7 साल की बच्ची को भी जिंदा जला चुके इस्लामी कट्टरपंथी
इससे पहले बांग्लादेश के लक्ष्मीपुर में 19 दिसंबर की देर रात इस्लामी कट्टरपंथियों ने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के नेता बिलाल हुसैन के घर को बाहर से बंद कर आग लगा दी थी। आग में उनकी 7 साल की बेटी आयशा अख्तर की जिंदा जलने से मौत हो गई थी। वहीं, दो और बेटियां 16 साल की सलमा अख्तर और 14 साल की सामिया अख्तर गंभीर रूप से झुलस गई थीं।
बांग्लादेश में पहले भी हिंदुओं के घरों को निशाना बनाया
कुछ दिनों पहले चटगांव के धेयूपारा गांव और उससे पहले कुटिया बरुईपारा गांव में भी इसी तरह हिंदू घरों में आग लगा दी गई थी। वहीं, 18 दिसंबर को मैमनसिंह के रहनेवाले 27 साल के दीपू चंद्र दास को ईशनिंदा के आरोप में इस्लामिक भीड़ ने पहले तो पीट-पीटकर मार डाला, बाद में उसके शव को नग्न कर एक पेड़ से टांग आग लगा दी। बता दें कि दीपू पर उसी के साथ फैक्टरी में काम करने वाले कुछ लोगों ने ईशनिंदा का झूठा आरोप लगाया था। जांच में ऐसे कोई सबूत नहीं मिले कि दास ने किसी की भावनाएं आहत करने वाली बात या कोई पोस्ट की थी।


