लंदन में स्वीडिश क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग को फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शन में शामिल होने पर गिरफ्तार किया गया। वे भूख हड़ताल कर रहे एक्टिविस्टों के समर्थन में लॉक-ऑन प्रोटेस्ट कर रही थीं। गिरफ्तारी ब्रिटेन के आतंकवाद कानून के तहत हुई।
Greta Thunberg Arrest: लंदन पुलिस ने मंगलवार को स्वीडिश क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग को गिरफ्तार कर लिया। फिलिस्तीनी एक्टिविस्ट ग्रुप्स के मुताबिक, थनबर्ग को उस वक्त अरेस्ट किया गया, जब वे फिलिस्तीन समर्थक भूख हड़ताल करने वालों के समर्थन में एक प्रदर्शन में शामिल हुई थीं। एक्टिविस्ट ग्रुप प्रिजनर्स फॉर फिलिस्तीन ने कहा कि थनबर्ग को सेंट्रल लंदन में एक "लॉक-ऑन प्रोटेस्ट" में हिस्सा लेते समय हिरासत में लिया गया। गिरफ्तारी के वक्त थनबर्ग के हाथ में एक पोस्टर था जिस पर लिखा था, "मैं फिलिस्तीन एक्शन कैदियों का समर्थन करती हूं। मैं नरसंहार का विरोध करती हूं।"
ब्रिटेन के आतंकवाद कानूनों के तहत गिरफ्तारी
प्रिजनर्स फॉर फिलिस्तीन ने एक बयान में कहा कि थनबर्ग को ब्रिटेन के आतंकवाद अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है। समूह ने आरोप लगाया कि विरोध प्रदर्शन का मकसद उन एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी की ओर ध्यान दिलाना था, जिन्हें "फिलिस्तीन एक्शन कैदी" बताकर अरेस्ट किया गया। इनमें से कुछ अब भी भूख हड़ताल पर हैं। एक्टिविस्टों ने कहा कि प्रदर्शनकारी हिरासत में लिए गए लोगों के साथ एकजुटता दिखाने और गाजा में इजरायल की बर्बर कार्रवाई की आलोचना करने के लिए इकट्ठा हुए। बता दें कि लंदन की मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने अभी तक गिरफ्तारी के बारे में कोई विस्तृत बयान जारी नहीं किया है।
कौन हैं ग्रेटा थनबर्ग?
ग्लोबल क्लाइमेट एक्टिविस्ट के रूप में मशहूर ग्रेटा थनबर्ग पिछले कुछ महीनों में इजरायल-गाजा संघर्ष पर मुखर दिखी हैं, जिसकी वजह से उन्हें समर्थन और आलोचना दोनों मिली हैं। 2018 में महज 15 साल की उम्र में उन्होंने स्वीडन की संसद के बाहर जलवायु के लिए स्कूल हड़ताल शुरू की,जो जल्द ही एक ग्लोबल मूवमेंट में तब्दील हो गई। ग्रेटा ने दुनिया भर के स्टूडेंट्स को जलवायु परिवर्तन पर एक्शन की मांग के लिए शुक्रवार को स्कूल छोड़कर विरोध प्रदर्शन करने के लिए इंस्पायर किया। उनके इस वैश्विक आंदोलन को "फ्राइडेज फॉर फ्यूचर" के नाम से जाना जाता है। जलवायु परिवर्तन पर उनके द्वारा किए गए काम को "ग्रेटा इफेक्ट" कहा जाता है। साथ ही उन्होंने विश्व के तमाम नेताओं को जलवायु संकट पर एक्शन लेने के लिए मजबूर किया है।


