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अंतरिक्ष पहुंचे शुभांशु शुक्ला को कैसी दिख रही पृथ्वी, क्यों रोजाना देख रहे 16 सूर्योदय-सूर्यास्त
Axiom-4 Mission: ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर नए घर का सेटअप पूरा किया। 11 अंतरिक्षयात्रियों के साथ मिलकर इमरजेंसी प्रोटोकॉल और रिसर्च के लिए तैयारी शुरू। जानिए उनकी अंतरिक्ष यात्रा का हर अपडेट।
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रोज़ाना 16 बार सूर्योदय और 16 बार सूर्यास्त
Axiom-4 Mission: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla) इस समय अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में अपनी Axiom-4 मिशन टीम के साथ पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहे हैं और रोज़ाना 16 बार सूर्योदय और 16 बार सूर्यास्त देख रहे हैं।
किसी भी इमरजेंसी स्थिति में तालमेल
Axiom स्पेस के मुताबिक, Ax-4 के अंतरिक्षयात्री माइक्रोग्रैविटी में जीवन के साथ एडजस्ट कर रहे हैं और स्टेशन के निवासी Expedition-73 क्रू के साथ इंटीग्रेशन पर फोकस कर रहे हैं। दोनों टीमों ने एक साथ हैंडओवर प्रोटोकॉल और इमरजेंसी प्रक्रियाओं का प्रशिक्षण पूरा किया ताकि किसी भी इमरजेंसी स्थिति में तालमेल बना रहे।
पहला दिन: नए घर का सेटअप
शुभांशु शुक्ला ने पहले दिन अपनी ग्रेस कैप्सूल (Grace Capsule) से जरूरी सामान और आपातकालीन उपकरण अंतरिक्ष स्टेशन में शिफ्ट कर सेटअप पूरा किया। इस दौरान पेलोड्स, जरूरी सप्लाई और सेफ्टी गियर को लॉग कर सही जगह रखा गया।
दूसरा दिन: रिसर्च की तैयारी
NASA के मुताबिक, दूसरे दिन Ax-4 क्रू ने सैंपल-पैक हार्डवेयर और साइंस फ्रीजर को Dragon स्पेसक्राफ्ट से निकाल कर ISS के रिसर्च मॉड्यूल में इंस्टॉल किया। इसके साथ स्टेशन सेफ्टी हार्डवेयर भी ड्रैगन में अस्थायी तौर पर ट्रांसफर किया गया, जो हर विजिटिंग स्पेसक्राफ्ट के साथ होता है। इसके बाद Ax-4 के अंतरिक्षयात्रियों ने Expedition-73 टीम के साथ इमरजेंसी प्रोटोकॉल और मिशन कंट्रोल से संवाद की प्रक्रिया पर प्रशिक्षण पूरा किया।
शुभांशु की तबीयत अच्छी
Axiom Space और NASA ने पुष्टि की है कि ग्रुप कैप्टन शुक्ला की तबीयत अच्छी है और वो पूरी तरह सक्रिय हैं। वो स्पेस-11 का हिस्सा बनकर टीम के साथ घुलमिल रहे हैं, जिससे अंतरिक्ष में 11 लोगों की यह टीम एक ‘वेटलेस फैमिली’ में बदल रही है।
Expedition-73 की गतिविधियां
वहीं, Expedition-73 क्रू ने अपने रोजाना के रिसर्च कार्यों जैसे स्पेस एक्सरसाइज स्टडी, आंखों की जांच और चंद्रमा की फोटोग्राफी जारी रखी। इसके अलावा लाइफ सपोर्ट सिस्टम का रखरखाव और कार्गो ट्रांसफर भी जारी रहा।