सार
डेटिंग ऐप आजकल बहुत प्रचलित हो गए हैं। रिश्तों, शादी, और वैवाहिक जीवन को बहुत सम्मान देने वाले भारत में भी अब किसी के साथ डेटिंग करना, और डेटिंग के नाम पर क्या-क्या, आम बात हो गई है। इसीलिए इन ऐप्स को बनाने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। इन ऐप्स के जरिए किसी से मिलना, उनके साथ पूरा दिन बिताना, कभी-कभी रिश्ता और आगे बढ़ जाना... ऐसा बहुत कुछ होता रहता है। पहले सिर्फ़ अमीर लोगों तक सीमित यह चलन अब मध्यम वर्ग में भी फैल गया है। आलीशान ज़िंदगी चाहने वाली लड़कियाँ, और इसी का फ़ायदा उठाकर महंगे गिफ़्ट देकर अपनी हसरतें पूरी करने वाले, और फिर लड़कियों को बीच मझधार में छोड़ देने वाले लड़के, ऐसी घटनाएँ होती रहती हैं, फिर भी लड़कियों को समझ नहीं आता।
ये डेटिंग ऐप कितने मशहूर हो गए हैं, इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें छोटे-छोटे बच्चे एक टीचर को डेटिंग ऐप के बारे में बता रहे हैं। यह घटना सिंगापुर की बताई जा रही है, हालाँकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है। बच्चे अपनी जवान टीचर को बता रहे हैं कि टिंडर नाम का डेटिंग ऐप बहुत अच्छा है, उसे इस्तेमाल करो। टीचर भी इसे हल्के में लेते हुए कहती है, अच्छा, सच में अच्छा है? तो मैं ट्राई करूँगी। फिर वह पूछती है कि उन्हें इसके बारे में कैसे पता चला। बच्चे अलग-अलग जवाब देते हैं।
यह वीडियो देखने में मज़ेदार लगता है, लेकिन गहराई से सोचें तो चिंता होती है कि बच्चों के दिमाग में पढ़ाई-लिखाई की जगह ये सब बातें भर रही हैं। डेटिंग का मतलब क्या होता है, शायद इन बच्चों को पता भी न हो। लेकिन घर में ऐसी बातें होना, टीवी पर देखना, और सबसे ज़्यादा, हाथ में मोबाइल होने से सबकुछ आसानी से जान लेने की वजह से बच्चों को इसके बारे में पता चल रहा है, जो बहुत चिंताजनक है। आजकल छोटे बच्चों द्वारा ब*लात्कार, ह*त्या जैसी घटनाएँ सामने आ रही हैं। टीचरों पर गोली चलाने की घटनाएँ भी हो रही हैं।
यही हाल रहा तो बहुत मुश्किल होगी, ऐसा बहुत से लोग मानते हैं। लोग माता-पिता को सलाह दे रहे हैं कि कम से कम बच्चों के सामने ऐसी बातें न करें। बच्चों को अगर कुछ पता न भी हो, तो जानने की जिज्ञासा में वे कुछ भी कर सकते हैं, और आजकल हो रही घटनाएँ इसी बात का सबूत हैं। घर में जब छोटे बच्चे ऐसी बातें करते हैं, तो उनकी प्यारी-प्यारी बातें सुनकर घरवाले हँसते हैं और उन्हें और लाड़ करते हैं। इसीलिए बच्चे बार-बार वही बातें दोहराते हैं। थोड़े बड़े होने पर वही बातें करने पर माता-पिता उन्हें डाँटते हैं। गलती किसकी है, यह समझकर बच्चों की परवरिश कैसे करनी चाहिए, यह सीखना ज़रूरी है।