योगी सरकार जनवरी 2026 में यूपी स्वच्छ वायु प्रबंधन परियोजना (UP-CAMP) शुरू करेगी। विश्व बैंक के सहयोग से लागू इस 304.66 मिलियन डॉलर की परियोजना में वायु प्रदूषण कम करने के लिए स्वच्छ परिवहन, उद्योग, कृषि और स्वच्छ खाना पकाने पर फोकस रहेगा।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश को स्वच्छ, स्वस्थ और आर्थिक रूप से अधिक सक्षम राज्य बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार लगातार प्रभावी कदम उठा रही है। वायु प्रदूषण की बढ़ती चुनौती से निपटने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनवरी 2026 में उत्तर प्रदेश स्वच्छ वायु प्रबंधन परियोजना (UP-CAMP) का शुभारंभ करेंगे। इस परियोजना के शासी निकाय की अध्यक्षता मुख्य सचिव करेंगे, जबकि प्रमुख सचिव और अपर मुख्य सचिव इसके सदस्य होंगे।
विश्व बैंक के सहयोग से लागू होगी यूपीसीएएमपी परियोजना
वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या से निपटने के उद्देश्य से योगी सरकार विश्व बैंक के सहयोग से यूपीसीएएमपी परियोजना को लागू कर रही है। हाल ही में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में यूपीसीएएमपी प्राधिकरण के शासी निकाय की दूसरी बैठक आयोजित की गई, जिसमें पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग सहित संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि परियोजना के कार्यान्वयन से जुड़े सभी कार्यों की समयबद्ध प्रगति रिपोर्ट अगली बैठक में प्रस्तुत की जाए।
परियोजना को मिली केंद्र और विश्व बैंक की मंजूरी
यूपीसीएएमपी परियोजना को लेकर 3 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में आर्थिक मामलों के विभाग (DEA), विश्व बैंक और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच सफल वार्ता हुई थी। इसके बाद 10 दिसंबर 2025 को विश्व बैंक के निदेशक मंडल ने इस परियोजना को औपचारिक मंजूरी दी। शासी निकाय को परियोजना की संरचना, वित्तीय व्यवस्था और विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) के रूप में गठित यूपीसीएएमपी प्राधिकरण के माध्यम से कार्यान्वयन की तैयारियों की जानकारी दी गई।
भारत की पहली वायुक्षेत्र-आधारित वायु गुणवत्ता परियोजना
यूपीसीएएमपी भारत की पहली एयरशेड-आधारित वायु गुणवत्ता प्रबंधन परियोजना है। इसे इंडो-गंगा के मैदानों में वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों को ध्यान में रखते हुए बहु-क्षेत्रीय कार्यक्रम के रूप में तैयार किया गया है। यह परियोजना विश्व बैंक द्वारा IIT कानपुर, IIT दिल्ली और नॉर्वेजियन इंस्टीट्यूट फॉर एयर रिसर्च (NILU) के सहयोग से किए गए वैज्ञानिक अध्ययनों पर आधारित है। इसमें ऑस्ट्रिया के IIASA द्वारा विकसित GAINS मॉडल का उपयोग किया गया है।
304.66 मिलियन डॉलर की परियोजना, 2025 से 2031 तक होगा क्रियान्वयन
यूपीसीएएमपी परियोजना का कुल परिव्यय 304.66 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। इसमें-
- 299.66 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण (लगभग 46,188 करोड़ येन)
- 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान शामिल है
इस परियोजना को वर्ष 2025 से 2031 तक छह वर्षों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। परियोजना उद्योग, परिवहन, कृषि, सड़क की धूल, अपशिष्ट प्रबंधन और स्वच्छ खाना पकाने जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है।
स्वच्छ खाना पकाने और ई-वाहनों से मिलेगा प्रदूषण से राहत
परियोजना का मुख्य उद्देश्य वायुक्षेत्र आधारित वायु गुणवत्ता प्रबंधन को मजबूत करना और विभिन्न क्षेत्रों में उत्सर्जन को कम करना है। इसके तहत-
- 39 लाख परिवारों को स्वच्छ खाना पकाने के समाधान दिए जाएंगे
- लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और गोरखपुर में 15,000 इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर, 500 इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी
- 13,500 प्रदूषणकारी भारी वाहनों के प्रतिस्थापन के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा
कृषि और पशुधन क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों का उपयोग
कृषि और पशुधन प्रबंधन के क्षेत्र में-
- पोषक तत्व उपयोग दक्षता तकनीकों को बढ़ावा
- खेतों में नाइट्रोजन मॉनिटरिंग सिस्टम की तैनाती
- राज्य कृषि विश्वविद्यालयों की प्रयोगशालाओं को सुदृढ़ करना
- खाद आधारित उर्वरक और बायोगैस स्लरी के मानकीकृत उपयोग से पशुधन अपशिष्ट प्रबंधन को बेहतर बनाया जाएगा।
उद्योगों के लिए स्वच्छ तकनीक और ईंट भट्टों का आधुनिकीकरण
औद्योगिक क्षेत्र में यूपीसीएएमपी के तहत-
- संसाधन-कुशल ईंट निर्माण
- टनल भट्टों को अपनाने को बढ़ावा
- औद्योगिक क्लस्टरों के लिए स्वच्छ वायु प्रबंधन योजनाएं
- मिनी बॉयलर से कॉमन बॉयलर सिस्टम में बदलाव के लिए नीति और व्यवहार्यता अध्ययन किया जाएगा।
सीमा-पार प्रदूषण से निपटने के लिए राज्यों से सहयोग
वायु प्रदूषण में प्रभावी कमी लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार पड़ोसी राज्यों के साथ सहयोग बढ़ाएगी। इससे सीमा-पार उत्सर्जन पर नियंत्रण संभव होगा और कम लागत में अधिक प्रभावी परिणाम हासिल किए जा सकेंगे।


