सार

university accreditation cancellation: उत्तर प्रदेश सरकार ने निजी विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता जांचने के लिए विशेष कमेटी बनाई है। औचक निरीक्षण से शैक्षणिक ईमानदारी तय होगी और नियमों का उल्लंघन करने वालों की मान्यता रद्द हो सकती है।

UP private university inspections: उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा का नक्शा तेजी से बदल रहा है। जहां एक ओर निजी विश्वविद्यालयों की संख्या में इजाफा हो रहा है, वहीं गुणवत्ता और नियमों को लेकर संदेह भी गहराते जा रहे हैं। अब सरकार ने उच्च शिक्षा की साख बचाने के लिए सीधा दखल देने का निर्णय लिया है। एक विशेष कमेटी गठित की गई है जो निजी विश्वविद्यालयों की शैक्षणिक और संरचनात्मक स्थिति की गहन जांच करेगी।

अब औचक निरीक्षण से तय होगी शैक्षणिक ईमानदारी

उत्तर प्रदेश में संचालित 47 निजी विश्वविद्यालयों में लगभग 2.66 लाख छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें से कई संस्थान शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर रहे हैं, लेकिन कुछ की गुणवत्ता और मानकों को लेकर शिकायतें मिलती रही हैं। इन्हीं कारणों से सरकार ने इन संस्थानों पर नजर रखने के लिए एक निगरानी कमेटी गठित की है, जो औचक निरीक्षण कर शासन को रिपोर्ट सौंपेगी।

इन बिंदुओं पर होगी सख्त जांच

कमेटी यह सुनिश्चित करेगी कि विश्वविद्यालयों में योग्य फैकल्टी है या नहीं, नियमित कक्षाएं हो रही हैं या नहीं, कोर्स समय से पूरा किया जा रहा है या नहीं और छात्र-छात्राओं को मूलभूत सुविधाएं मिल रही हैं या नहीं।

2019 के अंब्रेला एक्ट के अनुसार प्रमुख नियम:

  1. शहरी क्षेत्र में विश्वविद्यालय खोलने हेतु न्यूनतम 20 एकड़ जमीन
  2. ग्रामीण क्षेत्र में 50 एकड़ जमीन अनिवार्य
  3. 5 करोड़ रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट, जिसका केवल ब्याज उपयोग किया जा सकता है

गड़बड़ियों पर चेतावनी और रद्द हो सकती है मान्यता

यदि कमेटी की जांच में किसी विश्वविद्यालय में मानकों का उल्लंघन पाया जाता है, तो पहले चेतावनी दी जाएगी। गंभीर मामलों में विश्वविद्यालय की मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू की जा सकती है।

प्रदेश में सबसे अधिक 18 निजी विश्वविद्यालय मेरठ मंडल में स्थित हैं, इसके बाद आगरा मंडल में आठ। हालाँकि, कुछ संस्थानों में छात्रों की संख्या 1,000 से भी कम है, जो उनकी शैक्षणिक गुणवत्ता और समाज में स्वीकार्यता पर सवाल खड़ा करता है।

यह पहल न सिर्फ शिक्षा प्रणाली की निगरानी सुनिश्चित करेगी, बल्कि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सुरक्षित भविष्य देने में भी सहायक होगी। सरकार की यह सख्ती निजी विश्वविद्यालयों को नियमों के अनुसार संचालित करने के लिए बाध्य करेगी।

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