सार

UP government steps against fake drugs: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने खाद्य मिलावटखोरों पर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं। दोषियों की तस्वीरें चौराहों पर लगाई जाएंगी और जनता को मोबाइल ऐप व टोल-फ्री नंबर के जरिए शिकायत दर्ज कराने की सुविधा दी गई है।

Yogi Adityanath action on food adulteration: "अगर कोई लोगों की थाली में ज़हर परोसने की कोशिश करेगा, तो वो खुद सुरक्षित नहीं बचेगा!" कुछ ऐसे ही तेवर में नजर आए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जब उन्होंने खाद्य और औषधि में मिलावट करने वालों पर सख्त रुख अपनाया। बुधवार को हुई एफएसडीए (FSDA) विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में सीएम ने अधिकारियों को साफ निर्देश दिया कि जो भी मिलावट का दोषी पाया जाए, उसकी तस्वीरें प्रदेश के मुख्य चौराहों पर लगाई जाएं ताकि लोग उसे पहचानें और समाज में उसका असली चेहरा सामने आ सके।

मिलावट को बताया सामाजिक अपराध

सीएम योगी ने कहा कि खाद्य पदार्थों में मिलावट और नकली दवाओं का कारोबार ‘सामाजिक अपराध’ है। ऐसे लोग न केवल कानून तोड़ रहे हैं बल्कि आम जनता की सेहत से भी खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्होंने खासतौर पर दूध, घी, मसाले, तेल, पनीर जैसी रोजमर्रा की चीजों की उत्पादन इकाइयों पर जांच के निर्देश दिए हैं।

स्वास्थ्य है सर्वोच्च प्राथमिकता

योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि आम जनता का स्वास्थ्य राज्य सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है और इसमें किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने पेशेवर रक्तदाताओं की पहचान कर उन पर नियंत्रण की भी बात कही और नकली दवाओं की रोकथाम के लिए पुलिस और विभागीय समन्वय मजबूत करने के निर्देश दिए।

जनता को मिला मजबूत हथियार, मोबाइल ऐप और टोल फ्री नंबर

जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विभाग ने ‘फूड सेफ्टी कनेक्ट’ नामक मोबाइल ऐप और टोल फ्री नंबर 1800-180-5533 की सुविधा दी है। सीएम ने निर्देश दिए कि शिकायत का समाधान तब तक पूरा न माना जाए जब तक शिकायतकर्ता संतुष्ट न हो। इसके अलावा पासवर्ड-संरक्षित बारकोड प्रणाली से खाद्य सुरक्षा को पारदर्शी और जवाबदेह बनाया गया है।

तेजी से बढ़ रहा लैब नेटवर्क

बैठक में बताया गया कि उत्तर प्रदेश में फूड और ड्रग लैब्स का नेटवर्क तेजी से बढ़ा है। अब अलीगढ़, अयोध्या, आजमगढ़, बरेली, चित्रकूट, प्रयागराज समेत 12 से ज्यादा मंडलों में नई प्रयोगशालाएं और ऑफिस खोले गए हैं। वहीं लखनऊ, मेरठ और वाराणसी में आधुनिक माइक्रोबायोलॉजी लैब्स की स्थापना भी की जा चुकी है।

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