सार
allegations of religious intolerance against teacher: मुज़फ्फरनगर के एक स्कूल में टीचर पर छात्र की चोटी काटने का आरोप लगा है। परिजनों का कहना है कि टीचर को छात्र का टीका और चोटी पसंद नहीं था। शिक्षिका ने आरोपों को बेबुनियाद बताया है।
Muzaffarnagar school hair cutting incident: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ शिक्षा विभाग बल्कि पूरे इलाके में हलचल मचा दी है। आरोप है कि एक स्कूल टीचर ने छात्र की धार्मिक पहचान से जुड़ी 'चोटी' काट दी। अब सवाल उठ रहे हैं, क्या यह शिक्षण संस्थानों में धार्मिक सहिष्णुता की कमी को दर्शाता है या फिर मामला कुछ और है?
छात्र के परिजनों का आरोप: चोटी और टीका नहीं पसंद था टीचर को
थाना तितावी क्षेत्र के काजीखेड़ा गांव के उच्च प्राथमिक विद्यालय में यह मामला सामने आया। छात्र देवांश के परिजनों का कहना है कि स्कूल में पढ़ाने वाली मुस्लिम टीचर फरहाना पहले भी देवांश को टीका लगाने और चोटी रखने से मना करती थीं। जब भी वह टीका लगाकर स्कूल जाता, टीचर उसे मिटा देती थीं। लेकिन जब बात चोटी काटने तक पहुंची तो परिजन भड़क उठे।
बच्चे ने घर आकर बताई आपबीती, स्कूल पहुंचे परिजन
देवांश के मुताबिक, टीचर ने उसकी चोटी का कुछ हिस्सा काट दिया। यह बात उसने घर जाकर बताई, जिसके बाद उसके परिजन स्कूल पहुंचे। परिजनों ने जब फरहाना से सवाल-जवाब किए तो उनके साथ भी उचित व्यवहार नहीं किया गया।
टीचर पर आरोप लगाने के बाद छात्र का नाम काटा गया
परिजनों के अनुसार, जब उन्होंने शिक्षिका से चोटी काटने के बारे में पूछा तो न सिर्फ उन्हें टाल दिया गया, बल्कि देवांश का नाम स्कूल से काटते हुए उसकी टीसी भी दे दी गई। इससे नाराज़ परिजन सीधे थाने पहुंचे और फरहाना के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। जैसे ही मामला तूल पकड़ने लगा, शिक्षा विभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। मामले की गंभीरता को देखते हुए टीचर फरहाना के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है। जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच रिपोर्ट जल्द सौंपने के निर्देश दिए हैं।
टीचर फरहाना ने सभी आरोपों को बताया बेबुनियाद
विवाद में घिरी टीचर फरहाना ने कहा कि उनके ऊपर लगाए गए सभी आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं। उन्होंने किसी भी छात्र के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया है। स्कूल स्टाफ के अन्य सदस्य भी उस वक्त मौजूद थे और उन्होंने कुछ भी आपत्तिजनक नहीं देखा। मामले पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई, लेकिन वे ऑफिस में मौजूद नहीं थे और उनका फोन भी रिसीव नहीं हुआ। इससे मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता और बढ़ गई है।
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