सार

Bihar elections ceasefire impact: नेहा सिंह राठौर ने सीजफायर पर सवाल उठाते हुए बिहार चुनाव को मुद्दों पर केंद्रित रखने की बात कही। क्या वाकई चुनाव ही असली वजह है?

Neha Singh Rathore ceasefire comment: जब भारत-पाकिस्तान के बीच सीमा पर गोलियों की गूंज थमने लगी, तो सियासी गलियारों में शब्दों की जंग तेज हो गई। एक ओर सरकार ने शांति की दिशा में इसे अहम कदम बताया, वहीं दूसरी ओर लोकगायिका नेहा सिंह राठौर ने इस ख़बर पर चुटकी लेते हुए सीधा चुनावी मैदान की ओर इशारा कर दिया। नेहा के मुताबिक, सीजफायर की खबर ‘सुखद’ जरूर है, लेकिन बिहार की जनता को मुद्दों से भटकाया नहीं जाना चाहिए।

नेहा सिंह राठौर का तंज “सीजफायर अच्छा है, पर चुनाव मुद्दों पर होना चाहिए”

भारत और पाकिस्तान के बीच शनिवार (10 मई) को सीजफायर की घोषणा हुई। इस खबर के कुछ ही देर बाद, लोकगायिका और सोशल मीडिया पर अपने बेबाक बयानों के लिए मशहूर नेहा सिंह राठौर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट किया।

उन्होंने लिखा: "सीजफायर की खबर सुखद है… बाकी बिहार का चुनाव बिहार के मुद्दों पर ही होना चाहिए। समझ रहे हैं न..!"

नेहा के इस बयान से साफ है कि वे केंद्र सरकार की रणनीति को चुनावी स्टंट मान रही हैं और चाहती हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव का एजेंडा जनता की जरूरतों के इर्द-गिर्द घूमे, न कि पाकिस्तान, आतंकी हमलों या राष्ट्रवाद की लहर पर।

पहलगाम हमले के बाद पीएम मोदी की मधुबनी रैली पर भी उठाए थे सवाल

22 मार्च को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था। इसके दो दिन बाद पीएम नरेंद्र मोदी बिहार के मधुबनी पहुंचे और एक विशाल जनसभा को संबोधित किया। मंच से पीएम ने पाकिस्तान को सीधी चेतावनी दी थी और कहा था कि आतंकियों को "धरती के अंतिम छोर तक खोजकर सजा दी जाएगी"।

इस पर भी नेहा सिंह राठौर ने तत्काल प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में लिखा था: "कश्मीर में आतंकी हमला हुआ और उसके फौरन बाद मोदी जी ने बिहार में रैली कर दी। जो लोग मोदी जी की पॉलिटिक्स और बिहार की हालत को समझते हैं, उन्हें खूब समझ में आ रहा है कि पाकिस्तान को धमकी देने के लिए मोदी जी को बिहार क्यों आना पड़ा… ताकि बिहार की जनता से राष्ट्रवाद के नाम पर वोट बटोरा जा सके।"

क्या चुनावों से जुड़ा है 'सीजफायर' का ऐलान?

नेहा सिंह राठौर की ओर से बार-बार उठाए जा रहे सवालों ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। क्या वाकई आतंकवाद और राष्ट्रवाद की पिच पर 2025 का बिहार चुनाव खेला जाएगा? या जनता अब रोज़गार, शिक्षा, महंगाई और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी मुद्दों पर ही वोट करेगी?

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