नकली कफ सिरप गैंग पर ईडी की कार्रवाई में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। अवैध कमाई से बनी कोठियों की दहशत इतनी है कि प्रॉपर्टी का मूल्यांकन करने से एक्सपर्ट भी भाग रहे हैं। लखनऊ और वाराणसी में करोड़ों की संपत्ति सामने आई है।

अवैध कफ सिरप सिंडिकेट का भंडाफोड़ होने के बाद जांच की आंच अब उन आलीशान कोठियों तक पहुंच गई है, जो इस काली कमाई से खड़ी की गई थीं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) जब इन संपत्तियों का मूल्यांकन कराने पहुंची, तो हैरानी की बात सामने आई। गैंग की दहशत इतनी ज्यादा है कि ईडी को प्रॉपर्टी का आकलन करने के लिए विशेषज्ञ तक नहीं मिल पा रहे हैं। जिन एक्सपर्ट्स को लेकर अधिकारी कोठियों पर पहुंचे, वे नाम सुनते ही मौके से लौट गए।

तीन दिन से चल रही तलाशी, एक्सपर्ट्स ने खींचे हाथ

ईडी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक यूपी एसटीएफ से बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह की लखनऊ स्थित कोठी और शुभम जायसवाल की वाराणसी स्थित कोठी पर पिछले तीन दिनों से तलाशी और जांच अभियान चल रहा है। शनिवार को इन कोठियों में मिले लग्जरी सामान और जमीन-मकान का मूल्यांकन कराने के लिए विशेषज्ञ बुलाए गए थे। लेकिन आलोक की कोठी पर पहुंचे तीन अलग-अलग एक्सपर्ट्स ने यह कहकर काम करने से मना कर दिया कि यह लोग दबंग हैं और जान का खतरा है। उधर, शुभम जायसवाल के घर के लिए तो कोई एक्सपर्ट आने को ही तैयार नहीं हुआ।

यह भी पढ़ें: 26 करोड़ भक्तों ने किए काशी विश्वनाथ धाम के दर्शन, ऐतिहासिक है आज का दिन

बाहर से बुलाने पड़े विशेषज्ञ

मजबूरी में ईडी को रणनीति बदलनी पड़ी। आलोक की कोठी का मूल्यांकन बनारस से बुलाए गए एक्सपर्ट्स से कराया गया, जबकि शुभम जायसवाल के वाराणसी स्थित मकान के लिए लखनऊ से विशेषज्ञ भेजे गए। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच जमीन, मकान और अंदर मौजूद कीमती सामान की पैमाइश कराई गई।

इंटीरियर पर ही उड़ाए करोड़ों रुपये

ईडी अधिकारियों के अनुसार इन दोनों कोठियों में केवल इंटीरियर डेकोरेशन पर ही करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं। इसमें जमीन और भवन निर्माण की लागत शामिल नहीं है। विदेशी टाइल्स, महंगे पर्दे, लग्जरी टॉयलेट फिटिंग्स, एसी, फ्रिज, झूमर, लाइटिंग और दीवारों की सजावट पर दिल खोलकर पैसा बहाया गया। जांच में यह साफ हुआ है कि अवैध कमाई को आलीशान जीवनशैली में तब्दील किया गया।

परिजनों से नहीं मिली कोई ठोस जानकारी

ईडी ने इस दौरान उन फर्मों की जानकारी जुटाने की भी कोशिश की, जिनके जरिए काली कमाई को सफेद बनाने का प्रयास किया गया था। लेकिन आलोक और शुभम के परिजनों से कोई ठोस जानकारी नहीं मिल सकी। न तो फर्मों के दस्तावेज सामने आए और न ही यह बताया गया कि इतनी बड़ी रकम कहां से आई।\

जेल में होगी आलोक से पूछताछ

ईडी अधिकारियों के मुताबिक अब कोर्ट से अनुमति लेकर बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह से जेल में ही पूछताछ की जाएगी। फिलहाल वह एसटीएफ की रिमांड पर है, जिसकी अवधि आज समाप्त हो रही है। अधिकारियों का मानना है कि सीधी पूछताछ में ही अवैध नेटवर्क और संपत्तियों से जुड़े अहम सुराग मिल सकते हैं।

सुरक्षा का भरोसा भी नहीं आया काम

लखनऊ में जब एक्सपर्ट्स ने मूल्यांकन से इनकार किया, तो ईडी अफसरों ने उन्हें सुरक्षा देने का भरोसा दिलाया। लेकिन विशेषज्ञों का कहना था कि अधिकारियों के जाने के बाद उनकी जान को खतरा हो सकता है। आखिरकार बाहर से बुलाए गए एक्सपर्ट्स के जरिए मूल्यांकन कराया गया, जिसमें दोनों कोठियों में 5 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति होने का अनुमान सामने आया है। यह मामला अब केवल नकली कफ सिरप तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अवैध कमाई, दहशत और ताकत के उस काले सच को उजागर कर रहा है, जिसने जांच एजेंसियों के सामने भी बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।

यह भी पढ़ें: UP-CAMP से बदलेगी हवा की सेहत: 304 मिलियन डॉलर की परियोजना से प्रदूषण पर नियंत्रण