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8वीं पढ़ी मां ने अपने 5 बच्चों को बनाया जज, सिर्फ एक बात ने सभी को दिलाई सफलता

Unique success story : अलवर की कमलेश मीणा, जिनकी खुद की पढ़ाई अधूरी रही, उन्होंने अपने बच्चों को जज बनाकर एक मिसाल कायम की है। जानिए इस प्रेरणादायक मां की कहानी।

Arvind Raghuwanshi | Published : May 18 2025, 08:45 AM
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अलवर की कमलेश मीणा की अऩोखी कहानी
Image Credit : Asianet News

अलवर की कमलेश मीणा की अऩोखी कहानी

जहां सपने अधूरे रह जाते हैं, वहां कुछ मांएं उन्हें अपनी संतान की आंखों में जिंदा कर देती हैं। अलवर की कमलेश मीणा की कहानी ऐसी ही प्रेरणाहै, जहां एक मां की शिक्षा अधूरी रही, लेकिन उसके बच्चों की सफलता ने समाज के सामने एक मिसाल कायम कर दी।

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 आठवीं पढ़े-लिखी मां के बच्चे बने जज
Image Credit : Asianet News

आठवीं पढ़े-लिखी मां के बच्चे बने जज

कमलेश मीणा की शादी कम उम्र में हो गई थी। आठवीं कक्षा के बाद उन्हें पढ़ाई का मौका नहीं मिला। लेकिन उन्होंने यह ठान लिया था कि उनके बच्चे शिक्षा में कभी पीछे नहीं रहेंगे। पति भागीरथ मीणा पहले से ही सरकारी सेवा में थे, लेकिन कमलेश ने घर की जिम्मेदारियों के साथ-साथ बच्चों की पढ़ाई पर विशेष ध्यान दिया।

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बेटी धौलपुर तो बेटा दिल्ली में जज
Image Credit : Asianet News

बेटी धौलपुर तो बेटा दिल्ली में जज

आज कमलेश के सात में से पांच बच्चे न्यायिक सेवा में कार्यरत हैं, एक बेटी बैंकिंग सेक्टर में है और सबसे छोटा बेटा कानून की पढ़ाई कर रहा है। उनकी बेटी सुमन मीणा धौलपुर में, मोहिनी मीणा दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में, कामाक्षी सांगानेर में और मीनाक्षी कड़कड़डूमा कोर्ट में न्यायिक अधिकारी हैं। बेटा निधिश दिल्ली में सीनियर जज के रूप में सेवा दे रहे हैं।

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मां के एक सूत्र ने दिलाई बच्चों को सफलता
Image Credit : Asianet News

मां के एक सूत्र ने दिलाई बच्चों को सफलता

कमलेश कहती हैं, "मैंने हमेशा बच्चों से एक ही बात कही—ज़िंदगी एक बार मिलती है, या तो इज्जत से जियो या पछताने के लिए।" उन्होंने न बेटा-बेटी में फर्क किया और न ही सपनों में। यही वजह है कि बेटियों ने भी समाज में ऊंचा मुकाम हासिल किया।

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लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा बनीं यह मां
Image Credit : Asianet News

लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा बनीं यह मां

यह कहानी सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि उन लाखों महिलाओं की आवाज़ है जो खुद नहीं पढ़ सकीं लेकिन अपनी अगली पीढ़ी को उड़ान देना चाहती हैं। कमलेश मीणा का यह संघर्ष और सफलता, राजस्थान ही नहीं, पूरे देश के लिए प्रेरणा है।

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 संघर्ष और सफलता की अद्भुत कहानी
Image Credit : Asianet News

संघर्ष और सफलता की अद्भुत कहानी

कमलेश मीणा का यह संघर्ष और सफलता, राजस्थान ही नहीं, पूरे देश के लिए प्रेरणा है। कैसे खुद पढ़-लिख नहीं सकी तो उसने अपना सपना अपने बच्चों के जरिए पूरा कर लिया।

Arvind Raghuwanshi
About the Author
Arvind Raghuwanshi
अरविंद रघुवंशी, 2012 से पत्रकारिता जगत में कार्यरत हैं। 2019 से एशियानेट न्यूज हिंदी में बतौर सीनियर चीफ सब एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं और स्टेट टीम को लीड कर रहे हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय (MCU) से मास्टर ऑफ जर्नलिज्म (MJ) किया है। उन्हें नेशनल, पॉलिटिक्स, क्राइम और फीचर स्टोरीज में लिखना पसंद है। जर्नलिज्म में 13 साल का अनुभव है। वह दैनिक भास्कर, पत्रिका, राष्ट्रीय हिंदे मेल जैसे मीडिया संस्थानों में काम कर चुके हैं। Read More...
राजस्थान समाचार
 
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