8वीं पढ़ी मां ने अपने 5 बच्चों को बनाया जज, सिर्फ एक बात ने सभी को दिलाई सफलता
Unique success story : अलवर की कमलेश मीणा, जिनकी खुद की पढ़ाई अधूरी रही, उन्होंने अपने बच्चों को जज बनाकर एक मिसाल कायम की है। जानिए इस प्रेरणादायक मां की कहानी।
- FB
- TW
- Linkdin
Follow Us
)
अलवर की कमलेश मीणा की अऩोखी कहानी
जहां सपने अधूरे रह जाते हैं, वहां कुछ मांएं उन्हें अपनी संतान की आंखों में जिंदा कर देती हैं। अलवर की कमलेश मीणा की कहानी ऐसी ही प्रेरणाहै, जहां एक मां की शिक्षा अधूरी रही, लेकिन उसके बच्चों की सफलता ने समाज के सामने एक मिसाल कायम कर दी।
आठवीं पढ़े-लिखी मां के बच्चे बने जज
कमलेश मीणा की शादी कम उम्र में हो गई थी। आठवीं कक्षा के बाद उन्हें पढ़ाई का मौका नहीं मिला। लेकिन उन्होंने यह ठान लिया था कि उनके बच्चे शिक्षा में कभी पीछे नहीं रहेंगे। पति भागीरथ मीणा पहले से ही सरकारी सेवा में थे, लेकिन कमलेश ने घर की जिम्मेदारियों के साथ-साथ बच्चों की पढ़ाई पर विशेष ध्यान दिया।
बेटी धौलपुर तो बेटा दिल्ली में जज
आज कमलेश के सात में से पांच बच्चे न्यायिक सेवा में कार्यरत हैं, एक बेटी बैंकिंग सेक्टर में है और सबसे छोटा बेटा कानून की पढ़ाई कर रहा है। उनकी बेटी सुमन मीणा धौलपुर में, मोहिनी मीणा दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में, कामाक्षी सांगानेर में और मीनाक्षी कड़कड़डूमा कोर्ट में न्यायिक अधिकारी हैं। बेटा निधिश दिल्ली में सीनियर जज के रूप में सेवा दे रहे हैं।
मां के एक सूत्र ने दिलाई बच्चों को सफलता
कमलेश कहती हैं, "मैंने हमेशा बच्चों से एक ही बात कही—ज़िंदगी एक बार मिलती है, या तो इज्जत से जियो या पछताने के लिए।" उन्होंने न बेटा-बेटी में फर्क किया और न ही सपनों में। यही वजह है कि बेटियों ने भी समाज में ऊंचा मुकाम हासिल किया।
लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा बनीं यह मां
यह कहानी सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि उन लाखों महिलाओं की आवाज़ है जो खुद नहीं पढ़ सकीं लेकिन अपनी अगली पीढ़ी को उड़ान देना चाहती हैं। कमलेश मीणा का यह संघर्ष और सफलता, राजस्थान ही नहीं, पूरे देश के लिए प्रेरणा है।
संघर्ष और सफलता की अद्भुत कहानी
कमलेश मीणा का यह संघर्ष और सफलता, राजस्थान ही नहीं, पूरे देश के लिए प्रेरणा है। कैसे खुद पढ़-लिख नहीं सकी तो उसने अपना सपना अपने बच्चों के जरिए पूरा कर लिया।