Niharika Tetarwal success stroy: राजस्थान के झुंझुनूं की निहारिका तेतरवाल ने NDA परीक्षा पास कर लेफ्टिनेंट बनकर इतिहास रचा है। किसान परिवार से आने वाली निहारिका ने अपने पैरा कमांडो ताऊजी से प्रेरणा लेकर यह मुकाम हासिल किया।
Niharika Tetarwal NDA journey: राजस्थान की वीरभूमि झुंझुनूं ने एक बार फिर साबित कर दिया कि यहां की बेटियां भी देश सेवा में किसी से कम नहीं हैं। जिले के नवलगढ़ तहसील के छोटे से गांव तेतरवालों की ढाणी की रहने वाली निहारिका तेतरवाल ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर न सिर्फ अपने परिवार का, बल्कि पूरे जिले और राज्य का नाम रोशन कर दिया है।
एक किसान की बेटी बनी देश की सैनिक
निहारिका के पिता सुभाष तेतरवाल एक किसान हैं और माता कमला देवी गृहिणी हैं। एक साधारण ग्रामीण परिवार से आने वाली निहारिका ने बचपन से ही बड़े सपने देखे और उन्हें पूरा करने की ठानी। पढ़ाई में शुरू से ही अव्वल रहीं निहारिका का बचपन से ही सेना की वर्दी पहनने का सपनाथा, जिसे उन्होंने अब हकीकत में बदल दिया है।
पैरा कमांडो ताऊ से मिली प्रेरणा
निहारिका को सबसे पहली प्रेरणा मिली अपने ताउजी सुरेश तेतरवाल से, जो भारतीय सेना के पैरा कमांडो रह चुके हैं और अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। बचपन में उन्हें वर्दी में देखकर निहारिका के मन में भी सेना में जाने की चिंगारी जल उठी, जो आगे चलकर जुनून बन गई।
NDA की कठिन परीक्षा पास कर बनाई खास जगह
निहारिका ने नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) की कठिन परीक्षा पास कर उन 27 लड़कियों में जगह बनाई, जिन्हें इस वर्ष NDA में प्रवेश मिला है। यह एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि 2022 से पहले लड़कियों को NDA में प्रवेश की अनुमति नहीं थी। इस बदलाव ने हजारों बेटियों को नए सपने देखने का हौसला दिया है।
“सीटें 27 हों या 2700, मुझे सिर्फ एक चाहिए थी”
निहारिका का आत्मविश्वास उनके हर शब्द में झलकता है। उनका कहना है,“सीटें चाहे 27 हों या 2700, मुझे तो सिर्फ एक चाहिए थी और मैंने उसे पा लिया।” उनका यह आत्मविश्वास और साहस हर उस बेटी के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़ा सपना देखती है।
गांव की चौखट से देश की सीमा तक
निहारिका की सफलता ये बताती है कि गांव की बेटियां अब सिर्फ चौखट तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे अब देश की सीमाओं की सुरक्षा तक पहुंच रही हैं। उनकी यह उपलब्धि उन हजारों ग्रामीण बेटियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी जो पढ़ाई, संघर्ष और संकल्प से अपने सपनों को साकार करना चाहती हैं।
शिक्षा, साहस और संकल्प की मिसाल
निहारिका तेतरवाल की यह यात्रा शिक्षा, अनुशासन और देशभक्ति की मिसाल है। एक सामान्य पृष्ठभूमि से निकलकर उन्होंने दिखा दिया कि अगर हौसले बुलंद हों तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं होती।
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