सार

राजस्थान में किशनगढ़ में बंदरों ने क्लोरीन पाइप तोड़ी, गैस लीक से 28 लोग अस्पताल में भर्ती। इलाके में दहशत, प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में की।

अजमेर. राजस्थान के अजमेर जिले में बंदरों की मस्ती इस बार भारी पड़ गई। किशनगढ़ औद्योगिक क्षेत्र में बंदरों के एक झुंड ने क्लोरीन गैस पाइप को नुकसान पहुंचा दिया, जिससे अचानक गैस का रिसाव शुरू हो गया। इस घटना से इलाके में अफरा-तफरी मच गई और 28 लोग गैस की चपेट में आकर अस्पताल पहुंच गए।

किशनगढ़ में कैसे हुआ हादसा? 

किशनगढ़ के इंडस्ट्रियल एरिया में 600 लीटर कैपेसिटी के क्लोरीन सिलेंडर से जुड़ी पाइप को बंदरों ने तोड़ दिया। यह सिलेंडर पानी की सफाई से जुड़ी एक यूनिट में लगा हुआ था। पाइप टूटते ही क्लोरीन गैस का तेज रिसाव शुरू हो गया, जिससे आसपास के करीब 2 किलोमीटर के दायरे में गैस फैल गई।

  • सांसें रुकीं, आंखों में जलन गैस रिसाव के बाद लोगों को सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन की शिकायत होने लगी। बच्चों और बुजुर्गों की हालत ज्यादा बिगड़ी। कई लोग खुद ही अस्पताल पहुंचे, जबकि कुछ को प्रशासन की मदद से एंबुलेंस द्वारा पहुंचाया गया।

2 किलोमीटर के इलाके को सील कर ट्रैफिक डायवर्ट

तुरंत पहुंचा प्रशासन, इलाके को किया सील सूचना मिलते ही प्रशासन, नगर परिषद और पुलिस की टीमें मौके पर पहुंचीं। फायर ब्रिगेड ने गैस रिसाव पर काबू पाया। ऐहतियातन 2 किलोमीटर के इलाके को सील कर ट्रैफिक डायवर्ट किया गया। प्रशासन ने पुष्टि की है कि स्थिति अब नियंत्रण में है और गैस का प्रभाव खत्म हो चुका है।

किशनगढ़ में बंदरों का आतंक

बंदरों से परेशानियां पुरानी स्थानीय लोगों का कहना है कि किशनगढ़ में बंदरों का आतंक कोई नई बात नहीं है। आए दिन वे घरों की छतों, तारों और अब इंडस्ट्रियल यूनिट्स में घुसपैठ करते हैं। इस बार उनकी उछल-कूद ने 28 लोगों की जान जोखिम में डाल दी।

अस्पताल में भर्ती मरीजों की हालत स्थिर

  •  किशनगढ़ के राजकीय अस्पताल में भर्ती किए गए सभी 28 लोगों की हालत अब स्थिर बताई जा रही है। डॉक्टरों के मुताबिक, समय पर इलाज मिलने के कारण कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। अधिकतर लोगों को छुट्टी दे दी गई है।

किशनगढ़ प्रशासन ने शुरू किया सर्वे 

एडिशनल एसपी दीपक शर्मा ने जानकारी दी कि घटना के बाद इलाके में सर्वे का काम शुरू कर दिया गया है ताकि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके।

यह है पूरा मामला 

 जिसमें इंसानी लापरवाही नहीं, बल्कि बंदरों की शरारत से पूरे इलाके की सांसें थम गईं। किशनगढ़ जैसे इंडस्ट्रियल टाउन में यह घटना न सिर्फ प्रशासन के लिए चेतावनी है, बल्कि शहरी इलाकों में वन्यजीवों के साथ तालमेल पर भी बड़ा सवाल खड़ा करती है।